लीजिए संसार के सबसे बड़े राज्य नें,
एक महिला को अपने नेतृत्व के लिए चुना है,
महिला भी ऐसी जो कि दलित है,
भाई दिल खुश हो गया,
ऐसा नहीं है कि सब ठीक हो जाएगा,
परंतु जो कुछ भी है,
त्रिशंकु विधानसभा से अच्छा है,
सीधा सपाट बहुमत ज़रूरी है,
और भी ज़रूरी चीज़ें हैं,
शायद धीरे धीरे वह भी ठीक हो जाएँ,
क्या पता एक बार पुनः,
पूरे देश को राह दिखा सके,
हमारा यह बीमारू प्रदेश,
मुझमें अभी आशा शेष है।
महा लिख्खाड़
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May 11, 2007
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8 प्रतिक्रियाएं:
अनुभव भाई
बड़े राज्य की क्या कहें, सब से बड़े प्रजातंत्र देश की बागडोर नारी, पुरुष, दलित, अन्य जाति, युवक, दीर्घ-आयु के अनुभवी, सभी प्रकार के लोगों के हाथों से गुजर चुकी है।
लेकिन क्या हुआ है?
हां, एक नारी है जिसका नाम हर वोटर और नेताओं की जबान पर आती है और बातों
ही बातों में हवा में उड़ा दी जाती है। यदि वह आजाती तो अवश्य ही हम प्रवासी विदेश
की तरफ झांकते तक नहीं। वह नारी है या पुरुष -यह तो मुझे पता नहीं किंतु नाम है
"नैतिकता"!
bahut sundar :)
आशा तो हमें भी है कि जो भी आए बस शान्ति लाए और कुछ विकास का काम करे तो रोजगार देने वाले कारखाने लगाने वाले भी आ जाएँगे । फिर उत्तर प्रदेश भी आगे बढ़ निकलेगा ।
घुघूती बासूती
कभी कभी विकल्प के आभाव में धतूरे से भी हलवे की कामना हो ही जाती है. लगाओ उम्मीद. सारा आसमान उसी पर टिका है.
वैसे उम्मीद जताने का तरीका अच्छा लगा. :) यह तुम्हारी काबिलियत है, इसमें मायावती को कोई श्रेय नहीं जाता...हा हा!!!
उम्मीद रखिये, भला ही होगा
बहुत खूब!
आपकी आशा सच हो....अच्छी लगी आशा
अनुभव जी,
सब समय का फेर है....कोऊ नृप होए हमें का हानी...लेकिन मायावती के पुनरागमन ने सोशल इंजींनियरींग की धार को और मजबूत किया है
...ग़दर
http://manishrajsingh.blogspot.com
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