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शहाना नें करी माँ शारदा की स्तुति
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उपेन्द्र मटमारी के काव्य पाठ से शुरू हुआ कार्यक्रम
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निहित कौल नें सुनाया सुमधुर गीत
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डॉ वागीश दिनकर नें भरा श्रोताओं में ओज
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अभिनव नें पढ़ी पत्नी चालीसा
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राहुल उपाध्याय नें दिखाए शब्दों के खेल
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अगस्त्य कोहली नें सुनाई लाइब्रेरी गाथा
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महेश दुबे का पोज़
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मई २७, २०१२ सियैटल, संयुक्त राज्य अमेरिका. नगरी की सांस्कृतिक संस्था प्रतिध्वनि नें लगातार तीसरे वर्ष झिलमिल कवि सम्मेलन का आयोजन किया. इस बार के कवि सम्मेलन में अमेरिका के कवियों से संग भारत से आये तीन रचनाकारों नें भी अपनी कवितायेँ पढ़ीं. हिंदी भाषा का जो स्वरुप कविताओं में उजागर होता है वह अत्यंत आनंद प्रदान करने वाला होता है. सधे हुए कवि सम्मेलनों में प्रस्तुतिकरण के कौशल द्वारा कविताओं की मिठास में चार चाँद लग जाते हैं. यदि बात हास्य कविताओं की हो रही हो तो फिर मिठास और आनंद का एक नाभकीय विस्फोट होता है. सांस्कृतिक संस्था प्रतिध्वनि की ओर से प्रस्तुत इस कार्यक्रम में दो सौ श्रोताओं नें लगभग चार घंटे तक अनेक चटपटी और झिलमिलाती हुई हास्य कविताओं का रसास्वादन किया.
शहाना नें मां सरस्वती की वंदना कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया. इस कवि सम्मेलन में ग़ाज़ियाबाद से पधारे वीर रस के ओजस्वी कवि डॉ वागीश दिनकर, मुंबई से आये लाफ्टर चैम्पियन तथा हास्य कवि महेश दुबे, हैदराबाद से व्यंग्यकार कवि उपेन्द्र मट्मारी. सियैटल नगरी से निहित कौल, अगस्त्य कोहली, राहुल उपाध्याय एवं अभिनव शुक्ल नें अपनी कविताओं का पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन अभिनव शुक्ल नें किया. तीसरे 'झिलमिल' कवि सम्मेलन में श्रोताओं नें जम कर ठहाके लगाये और श्रेष्ठ कविताओं को भी सराहा. इस आशा के साथ कि आने वाले वर्षों में हिंदी भाषा एवं कविताओं की झिलमिलाहट और भी अनेक चेहरों पर मुस्कराहट लेकर आएगी झिलमिल २०१२ संपन्न हुआ.