मधुर मधुर गीतों में रस की फुहारें ज्यों,
ज़िन्दगी के कैनवस पे रंग प्यारे प्यारे ज्यों
सुबह की सैर में हों धूप के इशारे ज्यों,
सतरंगी चूनर पे टंके हों सितारे ज्यों,
तेरे आने से बिटिया मौसम यूँ महका है,
फूलों की बगिया में आई हों बहारें ज्यों.
तू जन्मों से संचित किसी पुण्य के फल सी,
मन के मरुस्थल में बूँद बन के आई है,
जब तुझको देखा तो ऐसी अनुभूति हुयी,
जीवन में रुनझुन है गूंजी शहनाई है,
नवयुग की नव बेला राह देखती तेरी,
तू इसमें जीवन की परिभाषा बन जाना,
प्रकृति का तेज त्याग तप तुझमें वास करे,
तू दृढ संकल्पों की अभिलाषा बन जाना,
तेरा अस्तित्व रहे सदा सूर्य सा दीपित,
तेरा प्रवाह, बहें गंगा के धारे ज्यों,
तेरे आने से बिटिया मौसम यूँ महका है,
फूलों की बगिया में आई हों बहारें ज्यों.
महा लिख्खाड़
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तेरे आने से बिटिया......
Apr 23, 2011प्रेषक: अभिनव @ 4/23/2011 11 प्रतिक्रियाएं
Labels: कविताएं
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