मुसलमाँ और हिंदू की जान - देखिये, सुनिए और पढिये

Sep 26, 2008

यू ट्यूब पर ये एक गीत सुनने को मिला. इधर जितनी मन को दुखाने वाली खबरें आ रही हैं उसमें ये गीत सुन कर लगा की मैं भी अपने हिन्दुस्तान को ढूंढ रहा हूँ.



मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

मेरे बचपन का हिन्दुस्तान,
न बांग्लादेश, न पाकिस्तान,
मेरी आशा मेरा अरमान,
वो पूरा पूरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

वो मेरा बचपन, वो स्कूल,
वो कच्ची सड़कें, उड़ती धूल,
लहकते बाग़, महकते फूल,
वो मेरे खेत और खलिहान,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

वो उर्दू ग़ज़लें, हिन्दी गीत,
कहीं वो प्यार, कहीं वो प्रीत,
पहाड़ी झरनों के संगीत,
देहाती लहरा, पूरबी तान,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

जहाँ के कृष्ण, जहाँ के राम,
जहाँ की श्याम सलोनी शाम,
जहाँ की सुबह बनारस धाम,
जहाँ भगवन करें स्नान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

जहाँ थे तुलसी और कबीर,
जायसी जैसे पीर फ़कीर,
जहाँ थे मोमिन, गालिब, मीर,
जहाँ थे रहिमन और रसखान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

वो मेरे पुरखों की जागीर,
कराची, लाहौर ओ कश्मीर,
वो बिल्कुल शेर की सी तस्वीर.
वो पूरा पूरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ,

मुसलमाँ और हिंदू की जान,
कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान,
मैं उसको ढूंढ रहा हूँ.

- अज़्मल साहब

पीली पड़ी है देश की संसद कमाल है

Sep 14, 2008





दिल्ली भी लाल हो गई जयपुर भी लाल है,
पीली पड़ी है देश की संसद कमाल है,

हम तुम भी बात कर के पीक देंगे पान को,
गरमा गरम ख़बर है सुनो बेमिसाल है,

फिर चोट लगी दर्द हुआ खून बहा है,
किसने किया? - इतिहास - क्लास दो - सवाल है,

हिन्दी मराठी जुगलबंदी बांसुरी पे है,
तबले पे तीन ताल है धुरपद ख्याल है.