विश्व हिन्दी सम्मेलन का अंग्रेज़ी प्रमाण पत्र - आज ही मिला

Aug 28, 2007

VHS_Certificate

एक अधूरा गीत भी पढ़ लीजिए।

आज कलाई फिर से सूनी

आज कलाई फिर से सूनी है इस रक्षा बन्धन पर,
भटक रहा है मन रह रह कर रोली चावल चन्दन पर,


स्मृतियों में त्योहारों की धुँधली रेखा बाकी है,
घूम घूम कर देखा सबकुछ पर अनदेखा बाकी है,
बचपन के किस्सों में बसते गाँव कई अनदेखे हैं,
मन के भीतर पलने वाले भाव कई अनदेखे हैं,
तन के सिंहासन पर बैठा अहंकार अनदेखा है,
अपनों के नयनों से बरस रहा प्यार अनदेखा है,
दुनिया देख रहे हो प्यारे, कभी इन्हें भी देखो रे,
बोझ व्यर्थ का क्यों ढोते हो इसको बाहर फेंको रे।

सुनिए कवितांजलि - रेडियो सलाम नमस्ते - २६ अगस्त २००७

Aug 27, 2007

रेडियो सलाम नमस्ते पर प्रत्येक रविवार को कवितांजली नामक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाता है। आप इसे आनलाईन भी सुन सकते हैं। हम भी इसके एक भाग का संचालन करते हैं। इस सप्ताह प्रसारित हुए कार्यक्रम के अंश को आप यहाँ सुन सकते हैं।

Program_Aug262007....


कार्यक्रमः कवितांजलि
समयः प्रत्येक रविवार शाम ९ बजे (डालस टाईम) - (भारत के समयानुसार सोमवार सुबह साढ़े सात बजे)
प्रस्तुतकर्ताः आदित्य प्रकाश सिंह
आयोजकः डा नन्दलाल सिंह (अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति)

उदय प्रताप सिंह जी के अद्भुत श्रीराम छन्द सुनिए

Aug 18, 2007

आज "शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग" पर उदय प्रताप जी के कुछ छन्द पढ़े। आलोक जी की टिप्पणीनुसार यह लीजिए एक कवि सम्मेलन में उनके द्वारा पढ़े हुए छन्द, उनकी अपनी आवाज़ में।
मुझे ऐसा लगता है कि यदि कोई अरसिक व्यक्ति भी इनको सुनेगा तो उसको साहित्य के प्रति अनुराग हो जाएगा।




गवर्नर का फरमान - १५ अगस्त - वाशिंगटन प्रदेश में "इंडिया डे"

Aug 14, 2007



भारत माता की जय
इंकलाब ज़िन्दाबाद
वन्दे मातरम्
जय हिन्द
वसुधैव कुटुम्बकम्
सत्यमेव जयते

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हैप्पी स्वतंत्रता दिवस - अनुगूँज २२ - एक कवि सम्मेलन के कुछ अंश

Aug 13, 2007


इस अनुगूँज के आयोजन हेतु आलोकजी को अनेक शुभकामनाएँ एवं धन्यवाद।

कई साल पहले लिखी अपनी एक कविता इस अनुगूँज हेतु प्रेषित कर रहा हूँ। जिस समय ये रचना लिखी थी उस समय यूनीकोड देवता का पदार्पण पूरी तरह नहीं हुआ था। तब लोग देवनागरी में लिख कर उसे पिक्चर की तरह सेव करते थे तथा मित्रों को पढ़वाते थे। उसी प्रारूप में यह रचना संलग्न है।

न्यू जर्सी में सन २००५ में हुए एक कवि सम्मेलन में यह कविता पढ़ी थी, उसकी रिकार्डिंग आप सुन भी सकते हैं।



आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बधाइयाँ।

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पंजाब केसरी - विश्व हिंदी सम्मेलन और प्रवासी साहित्यकार

Aug 6, 2007

मित्रों, इधर डा सुधा ओम ढ़ींगरा जी के दो लेख पंजाब केसरी में छपे हैं। सुधाजी पिछले कई वर्षों से अमेरिका में रहती हैं। बहुत अच्छी कवयित्री हैं। हिंदी साहित्य के प्रति आस्था उन्हें विरासत में मिली है, उपेन्द्रनाथ अश्क जी की भतीजी हैं।
http://www.vibhom.com, इस वेबसाइट पर जाकर आप उनके बारे में तथा उनकी पुस्तकों, एलबमों, संकलनों तथा लेखन के बारे में जान सकते हैं। आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन नें उन्हें भी आहत ही किया है, बाकी तो आप इन लेखों में पढ़ ही सकते हैं।

Punjab Kesari Article 1

Punjab Kesari Article 2