गांधीजी के अंतिम शब्दों पर हुए विवाद के चलते कुछ भाव मन में आए थे तथा प्रतिक्रिया स्वरूप इस तुकबंदी का सृजन हुआ। आशा है कि आपके विचार इस रचाना पर प्राप्त होंगे तथा कुछ अन्य प्रसंग भी इससे जुड़ेंगे।
बड़े बड़े सब लोग जो भारत आते हैं,
सबसे पहले राजघाट पर जाते हैं,
विश्व पुरुष के आशीषों से तरते हैं,
पुष्प चढ़ाते और नमन वे करते हैं,
शब्द अंत के जनमानस पर अंकित हैं,
राजघाट के शिला लेख पर टंकित हैं,
राम राम, हे राम राम, हे राम राम,
गांधीजी के अंतिम शब्दों को प्रणाम्,
पर सोचो यदि कुछ ऐसा हो जाता जो,
और कोई ही शब्द जो बाहर आता तो,
वही शिला का लेख बना बैठा होता,
अपने भाग्य की रेखा पर ऐंठा होता,
हमने सोचा चलो 'ओपिनियन पोल' करें,
नए विचारों की मदिरा का घोल करें,
"शब्द भला क्या श्रीमुख से बाहर होते,
गांधीजी जी की जगह आप नाहर होते?"
प्रश्न किया हमनें आलोकित जन जन से,
उत्तर सबने दिया बड़े अपनेपन से,
उत्तर विविध विविध भांति के प्राप्त हुए,
कहने को कुछ नहीं है भाव समाप्त हुए,
कोई बोला यदि उस जगह मैं होता,
सबसे पहले मम्मी मम्मी कर रोता,
सच्ची सच्ची बात बताएँ तो भइया,
अपने मुख से बाहर आता हाय दइया,
गांधीजी की सिचुएशन के जैसे में,
ऊप्पस निकलता मेरे मुख से ऐसे में,
अपने साथ यदि कुछ ऐसा हो जाता,
मुख से उड़ कर उड़िबाबा बाहर आता,
कोई बोला मैं कहता कि मार डाला,
किसी नें कहा मैं कहता अरे साला,
जितने मुख उतनी बातों का घोटाला,
दुनिया सचमुच में है इक गड़बड़झाला,
गांधी जी की मृत्यु के इतने वर्ष बाद,
उनके अंतिम शब्दों पर छिड़ता विवाद,
और बहुत से शब्द उन्होंने बोले थे,
राज़ सत्य और मानवता के खोले थे,
हरिजन और अहिंसा को पहचानो रे,
गांधीजी के आदर्शों को जानो रे,
पहले के शब्दों का समझो सार सार,
फिर जाना अंतिम शब्दों के आर पार,
मत केवल परपंचों का अभियान करो,
हैं विवाद कुछ सच्चे उनका ध्यान करो।
यदि आप गांधीजी की जगह होते तो क्या होते आपके आखिरी शब्द?
महा लिख्खाड़
-
कालीन की फिनिशिंग18 hours ago
-
हिंदी भाषा की विश्वव्यापकता4 weeks ago
-
रेत में फंसी नांव से वापसी!!1 month ago
-
सहारनपुर डेटलाइन प्रारंभ6 months ago
-
रूपांतरण8 months ago
-
गीत संगीत की दुनिया10 months ago
-
-
व्यतीत3 years ago
-
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन3 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking6 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!8 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
ऐसे में, आप क्या कहते
Jun 13, 2006प्रेषक: अभिनव @ 6/13/2006 5 प्रतिक्रियाएं
Labels: कविताएं
Subscribe to:
Posts (Atom)