कहाँ निशान लगाएँ

Mar 31, 2007

कहाँ से आया है पत्थर हमें नहीं मालूम,
सभी मीनारें हमें एक जैसी लगती हैं,
कहाँ निशान लगाएँ ज़रा बताओ हमें,
सभी दीवारें हमें एक जैसी लगती हैं।

ज़िन्दगी भी बहुत से दाँव सिखा देती है

Mar 27, 2007

वक्त की झील में तस्वीर बना देती है,
दर्द दे दे के उम्मीदों की दुआ देती है,

कभी आंखों में सजाती है सुनहरे सपने,
कभी ख्वाबों के चिरागों को बुझा देती है,

दिन उगेगा तो ये सूरज की बाँह थामेगी,
अंधेरी रात में दीपक को जला देती है,

हर सबक कैद नहीं होता है किताबों में,
ज़िन्दगी भी बहुत से दाँव सिखा देती है।