आज "शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय का ब्लॉग" पर उदय प्रताप जी के कुछ छन्द पढ़े। आलोक जी की टिप्पणीनुसार यह लीजिए एक कवि सम्मेलन में उनके द्वारा पढ़े हुए छन्द, उनकी अपनी आवाज़ में।
मुझे ऐसा लगता है कि यदि कोई अरसिक व्यक्ति भी इनको सुनेगा तो उसको साहित्य के प्रति अनुराग हो जाएगा।
महा लिख्खाड़
-
वृन्दावन में पदयात्री10 hours ago
-
-
आखिर जाने ऐसा क्या पा लेंगे!!2 weeks ago
-
‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें1 month ago
-
हिंदी भाषा की विश्वव्यापकता3 months ago
-
रूपांतरण10 months ago
-
गीत संगीत की दुनिया11 months ago
-
-
व्यतीत3 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking6 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!8 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
उदय प्रताप सिंह जी के अद्भुत श्रीराम छन्द सुनिए
Aug 18, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
8 प्रतिक्रियाएं:
उदय प्रताप सिंह जी को पढ़ा सवेरे शिवकुमार मिश्र के सौजन्य से; और सुना आपके सौजन्य से शाम को. वाह!
शिव कलकत्ता में, आप सियेटल में, हम ईलाहाबाद में - क्या सिमट गयी है दुनियां. क्या मिल गये हैं हम लोग!
धन्यवाद.
बहुत अच्छा लगा। शुक्रिया!
राम के चरण का जो मिले एक रजकण.
आवाज बहुत अच्छी है. फोटो परिचय नहीं दिया भाई?
प्यारे अभिनव, वाह ही वाह
बड़ा अच्छा अनुभव रहा-अब कलकत्ता, सियेट्ल, इलाहाबाद, कानपुर दिल्ली और कनाडा भी जोड़ा जाये ज्ञान जी.
अभिनवजी,
बहुत खूब, मजा आ गया ।
धन्यवाद,
अभिनव, बहुत ख़ूब..बहुत दिनों के बाद उनके मुँह से ये छन्द सुनकर मन प्रसन्न हो गया. बहुत बहुत धन्यवाद आपको.
Aap ne kavya rasikon par jo kriopa ki hai uska jawab khojna mushkil hai.
Iss Amrit varsha ke liye kotish dhanyavaad.
Neeraj
Post a Comment