बातें जो मुझे ग़लत लगीं
१ भारत बांगलादेश 'रिवेन्ज' (प्रतिशोध, बदला) सीरीज़ः यह कैसा नाम है, क्या हम जाने अन्जाने प्रतिशोध की भावना को भड़का रहे हैं। (यह वीडियो शुरू होने से पहले आता था, जो कि यह लेख पोस्ट करने के दो घंटे में हटा दिया गया है, मैं मानता हूँ कि इस लेख को पढ़कर ही हटाया गया है।)
२ आपने अपनी मेड का नाम नहीं लियाः क्या टीवी चैनल देखने वाले सभी लोगों के घरों में मेड होती है और मान लीजिए होती भी हैं तो क्या यहाँ पर जिस टोन का प्रयोग किया गया था क्या वह उपहासात्मक नहीं थी।
३ क्या आपकी ६० प्रतिशत अंक वाली सहेली आपके कांधे पर सिर रख कर रोना चाहती हैःटापर्स कुछ ही होते हैं तथा उनकी जय जयकार में बाकी लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना क्या ठीक है।
जो ज़रूरी बातें पूछी जानी चाहिए थीं
१ आपने कैसे पढ़ाई की, क्या टाईम टेबल, पुस्तकें आदि।
२ आप आगे के लिए यह विषय क्यों चुनना चाहती हैं।
३ आप क्या बनना चाहती हैं।
बाकी तो सामान्य बातें हैं,
१ हर बार की तरह लड़कियों नें ज्य़ादा अच्छा किया है (अब लड़कों को पचास काम और भी होते हैं पढ़ाई के अलावा।)
२ केन्द्रीय विद्यालय नंबर वन हैं। (सो तो हैं ही, अरे भाई बाराह बरस ऐसे ही थोडी हम केवी में पढ़े हैं।)
मेरी शुभकामनाएँ सभी छात्रों के साथ हैं, पर यह न्यूज़ देखकर मन विचलित हुआ तथा यह भाव मन में आए।
इश्तहार लग रहा है हर सफा अखबार का,
हाल कैसा हो गया है आज पत्रकार का।
नोटः इधर वीर शहीद भगत सिंह जी के अखबार वालों पर कुछ विचार शिल्पा शर्मा जी नें भी पोस्ट किए हैं, आप यहाँ देख सकते हैं, "शहीद भगत सिंह और अखबार वाले"।
महा लिख्खाड़
-
धंधा जो न करवाये सो कम3 days ago
-
-
साइकिल से सैर के क्षेपक2 weeks ago
-
Test Embed Post2 weeks ago
-
पांच सौ रोज कमाने का रोजगार मॉडल3 months ago
-
ममत्व के निहितार्थ- जिउतिया पर7 months ago
-
व्यतीत1 year ago
-
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन1 year ago
-
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन3 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking4 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!6 years ago

इंटर के नतीजे और टीवी पत्रकारिता का हाल
May 26, 2007प्रेषक: अभिनव @ 5/26/2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 प्रतिक्रियाएं:
आजकल जिस प्रकार कि पत्रकारिता हो रही है उससे मैं भी बहुत निराश हूँ।
खबर का हर पहलू बाज़ार को मद्दे नज़र रख कर प्रस्तुत किया जा रह है। लोग कया देखना चाहते हैं, टी-आर-पी बढ़ाने कि प्रतिद्वंदिता का ही परिणाम हैं। इसे मसाला मीडिया कहें है अतिशेयोकिति नही होगी.
पैसा कमाने को होड़ मैं सची कहानी कही दब कर रह जाती है.
Post a Comment