पिछले कुछ समय (कुछ वर्षों) से हमारे मन में ये विचार बार बार ठक ठक करता है कि भाई, तुम ओवरवेट हो तथा तुम्हारा वजन कम होना चाहिए। कभी कभी जोश-ए-जवानी में हफ्ता भर का डाइटिंग प्रोग्राम भी कर लेते हैं (पिछले चार साल में दो बार यह प्रोग्राम किया है)। दो चार किलो कम होता है पर जैसे ही नार्मल होते हैं फिर वापस आ जाता है। कभी कभार जिम, सुबह की कसरत, बाबा रामदेव का योगा तथा ईवनिंग वाक करते हैं पर वे भी नियमित नहीं हो पाते। कुल मिला कर हिसाब ये कि हमारे मन में काफी विचार करने तथा थोडा बहुत प्रयास करने के बाद भी वजन नें कुछ समय पहले सौ किलो की लक्ष्मण रेखा पार कर ली है। हमारे छोटे भाईसाहब आनंद को लगता है कि हमारा वेट बढ़ने का एक कारण हमारी कविता 'मुट्टम मंत्र' का नित्य पारायण है। उन्होंने हमें ये 'पतलम मंत्र' पढने की सलाह दी है, अपना तख़ल्लुस (हिचकी) भी रख लिया है।
'पतलम मंत्र'
छोड़ के आलस अब तुम भैया जल्दी जाओ जाग,
पहन कर री-बौक के जूते चार मील करो जौग,
चार मील करो जौग छोड़ दो आलू पूरी,
हलवाई की दुकान से बढ़ा लो घर की दूरी,
सुन लो मेरी बात को खड़े कर के कान,
मोटे भदभद नहीं जानते हैं पतलों की शान,
हैं पतलों की शान थे अपने गाँधी दुबले,
छोड़ो घी को खाओ खूब टमाटर उबले,
कुल मिलाकर बात ये मेरी जाओ मान,
हिरतिक बनो शान से भाई नहीं बनो अदनान,
नहीं बनो अदनान कि अबसे कम तुम खाओ,
दुबले होकर जीवन को तुम स्वस्थ बनाओ।
'हिचकी'
खैर, प्रश्न आज भी वहीं का वहीं है। हमनें यह सोचकर कि स्टेशन पर लगी मशीनें ग़लत वजन बताती हैं एक वज़न नापने की मशीन भी खरीद ली है, पर वह भी शायद सही वजन नहीं बताती। क्या आप में से किसी नें मोटापे से दुबलापे तक का सफर तय किया है। यदि हाँ तो अवश्य बताइएगा कि आपने क्या किया तथा हम क्या करें। क्या कोई ऐसा तरीका है जिसके द्वारा आराम से, आलसाते हुए वजन को नियमित रूप से कम किया जा सके?
बाकी हमनें सोचा है कि हम ब्लाग पर अपना वज़न अपडेट करते रहेंगे शायद यह एक मोटिवेशन के रूप में काम करे। सो जब आखिरी बार नापा गया था तो हमारा वजन था १०४ किलो (२३० पाउन्डस) जबकी कदानुसार हमारा सही वजन होना चाहिए लगभग ८५ किलो (१८७ पाउन्डस)।
महा लिख्खाड़
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वज़न कैसे कम किया जाए
May 9, 2007प्रेषक: अभिनव @ 5/09/2007
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6 प्रतिक्रियाएं:
हिचकी महाराज को साधुवाद.
वैसे लम्बाई की बात बीच में न लाओ तो १९ ही पड़ोगे. हा हा!!
हम लगे हैं, सफल होते ही खबर करेंगे. :)
शुभकामनायें तो रख ही लो, कभी कभी काम आती हैं और फैशन में तो खैर हईये हैं.
अंक पाउन्ड के मानो, जो दिखलाये मशीन किलो के
बिना डायटिंगके देखो फिर वज़न किस तरह घटता
सूप सलादों के चक्कर से निकलो बाहर प्यारे
देखो रसगुल्ला, रबड़ी के साथ प्रतीक्षा करता
कम खाने से तो भाई कमजोरी ही आयेगी।
लेकिन हा आपने जागिंग की बात सही कही है,..मगर पहले समीर भाई को कोशिश करने दिजिये,..
सुनीता(शानू)
बहुत खूब छोटे भाईया ....क्या खूब कही है
क्यों दुखती रग पर हाथ रखते हो भाई ! हम तो अपने योगाभ्यास व वजन पर लिख ही रहे थे कि आपका लेख पढ़कर मन और दुखी हो गया ।
घुघूती बासूती
vese agar kuchh karne ki than li jaye to kiya nahi ho sakta hai me is baat par believe karti hu for example adnan saami ko hi lelo vah ek misal hai.
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