हाँ मित्रों, यह चित्र किसी ज़माने में हमारे आदर्श रहे, शैल-विशाल देहधारी, गजबदना, मोट-शिरोमणी, श्रीमान अदनान सामी का है। जब से हमें ज्ञात हुआ है कि इन्होंने भी अपना वज़न कम कर लिया है तब से हमें लगने लगा है कि संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। यदि कल कोई हमसे आकर कहे कि मछलियाँ आसमान में उड़ने लगी हैं, शेर पेड़ पर रहने लगा है, नेता चरित्रवान हो गए हैं, पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रशिक्षण नहीं दे रहा है, कशमीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है, यूपी में जुर्म कम है तथा अगला आलम्पिक सूरज पर हो रहा है तो अब मैं निर्विकार भाव से सब सच मानने को तैयार हूँ। जब ये दुबले हो सकते हैं तो कुछ भी हो सकता है, हम भी हो सकते हैं। बस आवश्यकता है सच्ची लगन और आत्मविश्वास की।
हर बार की तरह इस बार भी प्लान बना लिया गया है। बस अब आवश्कता है इस पर अमल करने की। तो प्लान है तीन तरफा आक्रमण का, हल्के फुल्के योग-व्यायाम, व्यवस्थित भोजन तथा प्रेरक काव्य तथा प्रसंगो द्वारा सफलता प्राप्त करने का।
शारीरिक व्यायामः
- सुबह नहा धो कर आधा घंटा योग करना है। प्राणायाम (भर्त्सिका, कपालभाती, बाह्य, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) तथा दो सूर्य नमस्कार (दाँए तथा बाँए)।
- शाम को आधा घंटा टहलना है। (ज़रा तेज़ चलना है ये नहीं कि आराम से सिलिर सिलिर।)
भोजनः
- चीनी, आलू तथा तली हुई चीज़ों का परहेज़ करना है।
- चावल पर अलग अलग मत प्राप्त हुए हैं अतः उसे अभी परहेज की परिधि से बाहर रखा गया है।
- पानी खूब पीना है तथा सुबह शाम एक एक ग्लास गुनगुना पानी भी पीना है।
- यदि संभव हो तो भोजन में सलाद (कच्ची गाजर, मूली, टमाटर इत्यादि) भी खाना है।
मस्तिष्कः
- स्वास्थ्यवर्धक साइट्स पर जाना है तथा अन्य लोग कैसे दुबलाए यह जानना है।
- उत्साह का संचार करने वाली कविताओं को पढ़ना है।
छह सप्ताह तक नियमित रूप से इस पर अमल करना है तथा प्रत्येक रविवार को वज़न नापना है। पहली नपाई इस रविवार को होगी।
वैसे तो ओवरवेट होने को व्यक्तिगत विषय माना जाता रहा है परंतु यदि आप चाहें तो आप भी इस प्लान पर अमल कर सकते हैं। जब मैं साप्ताहिक चार्ट प्रकाशित करूँगा तो आपके आंकड़े भी उसमें पेस्ट कर सकता हूँ।
नर हो न निराश करो मन को
नर हो न निराश करो मन को
कुछ काम करो कुछ काम करो
जग में रहके निज नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो न निराश करो मन को
संभलो कि सुयोग न जाए चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलम्बन को
नर हो न निराश करो मन को
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्त्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो न निराश करो मन को
निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो न निराश करो मन को
--राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त (साभारः कविता कोश)
योगा तथा प्राणायाम के कुछ वीडियोज़ नीचे दिए जा रहे हैं। (पहले ३० सेकण्डस ब्लैंक स्क्रीन आएगा)
प्राणायाम
योगासन
महा लिख्खाड़
-
कुम्भ मेला स्पेशल का रेक14 hours ago
-
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु2 weeks ago
-
-
बाग में टपके आम बीनने का मजा5 months ago
-
गणतंत्र दिवस २०२०4 years ago
-
राक्षस4 years ago
-
-
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन5 years ago
-
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन7 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking8 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!10 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
अगर ये महाराज दुबला सकते हैं तो हम भी...
May 9, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 प्रतिक्रियाएं:
शारीरिक व्यायामः
- सुबह नहा धो कर आधा घंटा योग करना है। प्राणायाम (भर्त्सिका, कपालभाती, बाह्य, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी) तथा दो सूर्य नमस्कार (दाँए तथा बाँए)।
- शाम को आधा घंटा टहलना है। (ज़रा तेज़ चलना है ये नहीं कि आराम से सिलिर सिलिर।)
भोजनः
- चीनी, आलू तथा तली हुई चीज़ों का परहेज़ करना है।
---इतने तक पढ़ते ही आपका ब्लॉग ही ब्लैक स्क्रिन में तबदील हो गया...यू ट्यूब तो देखने का मौका ही नहीं लगा....अब थोड़ा पेट पूजा की जाये, फिर पढ़्ते हैं. शायद नेत्र प्रकाश जी वापस आ जायें.
काश आपने ये पहले बताया होता। वैसे मैथलीशरण गुप्त जी की कविता पढ़ कर अच्छा लगा।
all the best sirji....
aapne himmat kar hi li hai......bahut achhi baat hai...
Post a Comment