हुकूमत ये बता हम कैसे 'वन्दे मातरम्' गाएँ।।
क़तारों से घिरा फुटपाथ आख़िर हम कहाँ जाएँ।।
कहने लगे मुख मंत्री, बेवजह शोर है,
औ' बोले पुलिस मंत्री खींसें निपोर कर,
बिहार में ये होलिका दहन का दौर है।
फिर थक के सो गया कोई बादल की छाँव में।
बामन के कुएं थे, वहां ठाकुर के कुएं थे,
पानी का कुआं ढूँढने निकला मैं गाँव में॥
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बच्चों का जबसे हुआ वामपंथ से मेल,
ग़द्दारी में पास हैं, देशभक्ति में फ़ेल,
देशभक्ति में फ़ेल, उठाएँ पाक का झंडा,
सरपट दौड़ें जब भी देखें पुलिस का डंडा,
कह अभिनव कविराय ये टेढ़े टेढ़े जाएँ,
लेनिन चरें मार्क्स को कुतर कुतर इतराएँ।
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राम राज के फेर में शत्रुघन नाराज,
उल्टा पुल्टा चल रहा भाजपा का राज,
भाजपा के राज में जो भी करे तबाही,
लड्डू खाए, ऐश करे, लूटे वाह वाही,
इनकी महबूबा है अफज़ल की दीवानी,
भारत की शिक्षा दीक्षा देखे ईरानी।
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