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चाय पिलाई जाए
Sep 19, 2012
आफिस से जब शाम को साहब वापस आए,
पत्नी से बोले ज़रा चाय पिलाई जाए,
चाय पिलाई जाए जरा सी अदरक वाली,
कड़क, मसालेदार, दूधिया, मिर्च भी काली,
पत्नी बोली प्राणनाथ, तुम यह लो माचिस,
मैं भी थकी हुई आई हूँ फ्राम द आफिस.
साहब नें माचिस लई, चूल्हा दिया जलाय,
चढ़ा भगोना बन गयी, पानी जैसी चाय,
पानी जैसी चाय, एक करतब दिखलाया,
चीनी के स्थान पे टाटा नमक मिलाया,
मंद मंद मुस्काते चाय को कप में छाना,
बोले, तुम भी पियो ओ मेरी जाने जाना.
प्रेषक: अभिनव @ 9/19/2012
Labels: कविताएं, हास्य कविता
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