महा लिख्खाड़
-
होली है पर्याय प्रेम का!4 days ago
-
बेलपत्र तोड़ने वाला संजय2 weeks ago
-
मतदाता जागरूकता गीत4 weeks ago
-
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है4 months ago
-
पितृ पक्ष5 months ago
-
‘नाबाद’ के बहाने ‘बाद’ की बातें11 months ago
-
गीत संगीत की दुनिया1 year ago
-
-
व्यतीत4 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking7 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!9 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
चाय पिलाई जाए
Sep 19, 2012
आफिस से जब शाम को साहब वापस आए,
पत्नी से बोले ज़रा चाय पिलाई जाए,
चाय पिलाई जाए जरा सी अदरक वाली,
कड़क, मसालेदार, दूधिया, मिर्च भी काली,
पत्नी बोली प्राणनाथ, तुम यह लो माचिस,
मैं भी थकी हुई आई हूँ फ्राम द आफिस.
साहब नें माचिस लई, चूल्हा दिया जलाय,
चढ़ा भगोना बन गयी, पानी जैसी चाय,
पानी जैसी चाय, एक करतब दिखलाया,
चीनी के स्थान पे टाटा नमक मिलाया,
मंद मंद मुस्काते चाय को कप में छाना,
बोले, तुम भी पियो ओ मेरी जाने जाना.
प्रेषक: अभिनव @ 9/19/2012
Labels: कविताएं, हास्य कविता
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
0 प्रतिक्रियाएं:
Post a Comment