भारतीय साहित्य जगत को पिछले कुछ महीनों में जो आघात पहुंचे हैं वे बड़े गहरे हैं. साहित्य ऋषि विष्णु प्रभाकर के देहवसान के एक सप्ताह के भीतर संस्कृत के परम विद्वान आचार्य रामनाथ सुमन के जाने का समाचार आया. अभी साहित्य संसार प्रातः स्मरणीय सायं वन्दनीय आचार्य रामनाथ सुमन जी के परमधाम गमन के शोक से उबारा ही नहीं था कि वीर रस के प्रख्यात कवि छैल बिहारी वाजपेयी 'बाण' के जाने की सूचना प्राप्त हुई. जब तक काव्य मंचों पर पड़ी ये काली छाया टलती, भोपाल के पास एक कार दुर्घटना हुई जिसमें हास्य सम्राट ओमप्रकाश आदित्य, लाड़ सिंह गुर्जर और नीरज पुरी भी माता सरस्वती की गोद में चले गए. फिर अल्हड़ बीकानेरी जी के देहवसान की सूचना प्राप्त हुई और अभी कुछ देर पहले फ़ोन पर बजने वाली दुर्दांत रिंगटोन नें ओम व्यास ओम के जाने का समाचार सुनाया है. ओम व्यास एक महीने तक मृत्यु से साथ संघर्ष करते रहे और अंततः हम सबको छोड़ कर चले गए. जीवन की नश्वरता और क्षणभंगुरता का भान किसे नहीं होता. पर यह भान सदा कहीं छिपा सा रहता है. हमको ऐसा लगता है कि जो हमारे परिचित हैं हमारे प्रिय हैं उनका कुछ बुरा नहीं हो सकता और जब एक के बाद एक इस प्रकार की सूचनाएं आती हैं तो हृदय आघात सहने का अभ्यस्त सा होने का प्रयास करने लगता है. इन महानुभावों के गमन ने हिंदी साहित्य जगत में एक ऐसी रिक्तता भर दी है जिसकी पूर्ति कभी नहीं हो सकेगी.
हिंदी साहित्य की इन विभूतियों को श्रद्धांजलि देते हुए अमेरिका की सिएटल नगरी में एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. आप सादर आमंत्रित हैं.
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दिनांक: १९ जुलाई २००९, रविवार
समय: दोपहर २:०० बजे
स्थान: अभिनव शुक्ल का निवास
पता: ११०० यूनिवर्सिटी स्ट्रीट, अपार्टमेन्ट ८ ई, सिएटल, वॉशिंग्टन, यु एस ए ९८१०१
फ़ोन: २०६-६९४-३३५३ (अभिनव), ४२५-८९८-९३२५ (राहुल)
ई-मेल: shukla_abhinav@yahoo.com
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कार्यक्रम:
१. श्रद्धांजलि: स्मृति शेष - कलम के सिपाही (२:०० - ३:००)
- आचार्य विष्णु प्रभाकर
- आचार्य रामनाथ सुमन
- पंडित छैल बिहारी वाजपेयी 'बाण'
- कविवर ओमप्रकाश आदित्य
- कविवर अल्हड़ बीकानेरी
- कविवर लाड़ सिंह गुज्जर
- कविवर ओम व्यास ओम
- कविवर नीरज पुरी
२. डाक्टर दुर्गाप्रसाद अग्रवाल (जयपुर) के संस्मरण. (३:०० - ४:००)
३. डाक्टर कमल शंकर दवे (कानपुर) के संस्मरण (४:०० - ५:००)
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स्मृति शेष - कलम के सिपाही - सिएटल - रविवार १९ जुलाई २००९
Jul 15, 2009प्रेषक: अभिनव @ 7/15/2009
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1 प्रतिक्रियाएं:
आप सही कह रहे हैं, इन साहित्य के दिग्गजों के जाने से रिक्तता तो बहुत महसूस होती है।
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