एक कविता - सूर्य, ग्रहण और मानव

Jul 23, 2009

मिहिर, भानु, आदित्य, दिवाकर,
दिनकर, रवि, मार्तंड, प्रभाकर,
पद्मिनिकांत, दिव्यांशु, नभश्चर,
अरणी, द्युम्न, अवनीश, विभाकर

आदिदेव, ग्रहराज, दिवामणि,
छायानाथ, अरुण, कालेश,
ध्वान्तशत्रु, भूताक्ष, त्रयीतन,
वेदोदय, तिमिरहर, दिनेश,

पुष्कर, अंशुमाली, प्रत्यूष,
सूर्य देव के नाम अनेक,
सघन ऊष्मा है शब्दों में,
अनुभव कर देखो प्रत्येक,

निस बासर रहता है मानव,
इसके आगे घुटने टेक,
ग्रहण लग रहा आज जगत में,
दुनिया आज रही है देख.

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Abhinav Shukla
206-694-3353
www.kaviabhinav.com

3 प्रतिक्रियाएं:

"अर्श" said...

KYA BAAT HAI ABHINAV HI BAHOT HI KHUBSURATI SE BAAT KAHI HAI AAPNE . YE ANDAAJ BAHOT PASAND AAYE.. BAHOT BAHOT BADHAAYEE SWIKAAREN...



ARSH

रचना में ही सूर्यदेव के नामों का अनोखा संकलन हो गया है ।

खूब!