अरुंधती पर लिखी कविता पर मुझे अनेक टिप्पणियां प्राप्त हुयीं. प्रिय मित्र भारतभूषण नें तथा कविवर राकेश खंडेलवाल जी नें अपनी टिप्पणियां व्यक्तिगत मेल द्वारा भेजीं. मुझे दोनों टिप्पणियां रोचक लगीं अतः उन्हें यहाँ पोस्ट कर रहा हूँ.
राकेश जी नें कविता की निम्न पंक्ति को रेखांकित करते हुए अपने विचार व्यक्त किए हैं;
'अभी मेरे पास तुम्हारे सवालों का जवाब नहीं है'
आज तुम्हारे पास प्रश्न का उत्तर नहीं ? कहो कल था क्या,
आज नाम जो देते मुझको, क्या ये सब कल कहा नहीं था,
कहते हो तुम जानते सभी कुछ, तो क्यों महज भुलावा देते,
और आज यह पक्ष बताना, कल भी कहो नहीं था यह क्या,
भ्रांति तुम्हें है तुम सशक्त हो, भीरु मगर हो अंन्तर्मन में,
केवल बातें कर सकते हो, कब तलवार उठी है कर में,
बातों के तुम रहे सूरमा, चलो और कुछ भाषण दे लो,
लहरें नहीं उठा करती हैं, सूखे हुए कुंड के जल में.
- राकेश खंडेलवाल
------------------------------------------------
भारतभूषण नें अपने क्लासिक अंदाज़ में टांग खींचने का प्रयास किया है;
सुनो अभिनव
तुम मेरे दोस्त हो
हमने काफी समय साथ गुज़ारा है
और
कुछ मतभेदों के बावजूद
मैं तुम्हारी काव्य-प्रतिभा
का कायल हूँ
अरुंधती के बारे में
हमने कई बार बहस की है
उसके निष्कर्षों से सहमत न होना
नितांत स्वाभाविक है
मेनस्ट्रीम के कहकहों में
हाशिये का रोना भी क्या रोना
डैम और बम के विरोध का क्लासिफिकेशन=सेडिशन
आई एस आई की एजेन्सी
या डीलरशिप मिले बिना
मुंबई,गुजरात और कश्मीर का त्रिकोण
भला कौन खींचेगा
और पिट्ठू द्वारा पश्चिम के गढ़ में
स्तुति-सुमनों का वर्षाव भी क्या खूब!
बुकर पुरस्कार, लानन फाउंडेशन पुरस्कार
और पुस्तकों की रायल्टी से अर्जित
लगभग दो करोड़ रुपयों की राशि को
संगठनों, संस्थाओं, आन्दोलनों, व्यक्तिओं,नाट्य समूहों
यानी दीगर देशद्रोहियों , पश्चिम के पिट्ठूओं और एजेंटों
में बाँट देना
लालच की पराकाष्ठा है!
'आर्म-चेयर' साहित्य सृजन
के दौर में
एक्टिविस्ट-लेखक होना
सचमुच वल्गर है
और हाँ, अरुंधती की भाषा,
उसकी शैली
इन्सिडेन्टल है
जिसके प्रभाव से मुक्त होने में
तुम्हें ज्यादा देर नहीं लगेगी.
- भारतभूषण तिवारी
---------------------------------------
और भी अनेक टिप्पणियां प्राप्त हुयी हैं कुछ में गुस्सा है तो कुछ में समर्थन. सभी का धन्यवाद् देते हुए मैं बस इतना कहना चाहूँगा की;
लिखा वही है जो कुछ मेरे इस मन नें महसूस किया है,
सीधी सरल बात बोली है कोई लाग लपेट नहीं है,
अपनी कमियों का अंदाजा है इस 'आर्म-चेयर' कवि को,
पर भावों के ऊपर रखा कोई पेपर वेट नहीं है.
महा लिख्खाड़
-
लाहदेरांता में चुनचुन बाजपेयी2 days ago
-
जब बात दिल से लगा ली तब ही बन पाए गुरु4 days ago
-
-
बाग में टपके आम बीनने का मजा5 months ago
-
गणतंत्र दिवस २०२०4 years ago
-
राक्षस4 years ago
-
-
इंतज़ामअली और इंतज़ामुद्दीन5 years ago
-
कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण और अर्जुन7 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking8 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!10 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
अरुंधती पर लिखी कविता पर कविवर राकेश खंडेलवाल एवं भारतभूषण की प्रतिक्रियाएं
Dec 22, 2008प्रेषक: अभिनव @ 12/22/2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
3 प्रतिक्रियाएं:
आपकी कविता भी अच्छी थी इनकी टिप्पणियाँ भी अच्छी है लेकिन एक देश द्रोही प्रचार की भूखी औरत पर लिख कर अपना समय न ख़राब करें | इस तरह के लोगों का बहिष्कार ही इनका इलाज है | इनकी कोई बात खबर न बने और ये गुम नामी के अंधेरे में डूब जाए ये ही इसकी सजा है |
बहुमूल्य प्रतिक्रियायें। पर आपकी पोस्ट यह डिजर्व करती थी।
विपरीप मत के कमेंट देने के लिए भी नैतिक चरित्र और साहस चाहिए। आपने यह टिप्पणिया देकर उस साहस का परिचय दिया है। बधाई।
कलमकार तो सच्चा वही है जो निर्भीक होक्रर अपनी बात रखे।
Post a Comment