सुबह उठे,
सन्डे का दिन था,
पत्नी बोली अपना कमरा साफ़ करो तुम,
ऐसा लगता है मानो ये,
किसी कबाडी का कमरा हो,
या फिर मानो ग्रीन रूम हो,
किसी पुराने से थिएटर का,
मेरी चाचीजी कल घर आने वाली हैं,
उनके आगे कह देती हूँ,
सुन लो ये सब नहीं चलेगा,
गृह मंत्री का उद्बोधन सुन,
अलसाते से उठे,
किताबें ज़रा समेटीं,
कागज़ पत्तर हिला दुला कर,
इस कोने से उन्हें उठा कर,
उस कोने पर रखा और फिर,
उन पर एक सुंदर सा डिब्बा,
डिब्बे पर सुंदर सी चादर,
चादर पर गुलदान सुनहरा,
जिसमें नारंगी काग़ज़ के,
सुंदर सुंदर फूल लगाये,
ये कोना तो ठीक हो गया.
लेकिन अब ये अलमारी है,
अलमारी क्या पूरी दुनिया बसी हुयी है,
तरह तरह की इसमें चीज़ें ठुंसी हुयी हैं,
चलूँ ज़रा इनको भी देखूं,
अभी, पाँच बरस पहले ही तो इस अलमारी को साफ़ किया था,
अरे ये क्या!
ये तो बहुत पुराना फ़ोन है मेरा,
आन करुँ और देखूं इसको,
मैंने दोनों फ़ोन उठाये,
एक हाथ में नया फ़ोन,
और एक हाथ में फ़ोन पुराना,
एक एक कर मैंने दोनों फोनों के सब नंबर देखे,
नए फ़ोन में जो नंबर हैं उनका मुझको अंदाजा है,
कुछ नंबर हैं उनके जिनसे काम पड़ा था,
कुछ नंबर हैं उनके जिनसे काम पड़ेगा,
कुछ नंबर तो बड़े ही नामी और गिरामी लोगों के हैं,
जिनका नंबर होने भर से फ़ोन की इज्ज़त बढ़ जाती है,
कुछ उन कवियों के नंबर हैं,
जिनको लगता है की मैं कोई आयोजक हूँ,
और हैं कुछ उन कवियों के,
जो मुझको आयोजक लगते हैं.
नंबर नंबर देख लिया है,
नंबर के इस सागर में केवल,
तीन चार नंबर ऐसे हैं,
जो दोनों ही फोनों में हैं,
एक मेरी पत्नी का नंबर,
एक है माता और पिता का,
एक मेरे छोटे भाई का,
फ़ोन न हो तो ये नंबर भी दूर ही रहते,
क्योंकि मुझको इनके नंबर याद नहीं हैं,
मुझको ऐसा लगता है की,
अब उनको भी,
मेरा नंबर याद नहीं है.
मेरे पुराने फ़ोन के भीतर,
बहुत दोस्तों के नंबर थे,
दोस्त तो मेरे अपनों से ज़्यादा अपने थे,
दोस्त वो जिनके साथ कभी देखे सपने थे,
उनमें से तो एक भी नंबर,
नए फ़ोन के पास नहीं है,
शायद धीरे धीरे करके सबके नंबर बदल गए हों,
कुछ कुछ मैं भी बदल गया हूँ,
कुछ कुछ वो भी बदल गए हों.
मेरा पुराना फ़ोन नोकिया का था,
सबसे सस्ता माडल,
मेरे पास अब आई फ़ोन है,
चलूँ एक दो नंबर डायल कर के देखूं,
शायद कोई फ़ोन उधर से उठ ही जाए,
शायद कोई पहचाने और मुझे बताये,
उसके नए फ़ोन में मेरा नंबर है क्या,
उसने फ़ोन पुराना कभी टटोला है क्या,
उसने भी क्या रिश्तों को रीचार्ज किया है,
या उसने भी जीवन मेरी तरह जिया है.
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Abhinav Shukla
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