इधर २४ नवंबर २००७ के दिन वेंकूवर, कनाडा में एक कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया था. हम भी अपने मित्र राहुल उपाध्याय जी के साथ वहां गए थे. कार्यक्रम में देखने वाली बात यह रही कि इसमें हिंदी के अतिरिक्त उर्दू और पंजाबी के कवियों नें भी अपनी रचनाएँ पढ़ीं।
आचार्य श्रीनाथ प्रसाद द्विवेदी नें कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। उनके द्वारा सुनाए गए मुक्तक सुन कर बच्चन जी, रमानाथ जी और नीरज जी की स्मृतियाँ ताजा हो गईं। कर्यक्रम इस आशा के साथ संपन्न हुआ कि आने वाले समय में यू एस ए तथा कनाडा में अनेक संयुक्त साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस सप्ताह नीरज त्रिपाठी जी सिएटल आए हैं अतः कल उनके सम्मान में आयोजित गोष्ठी की तस्वीरें लेकर उपस्थित होऊंगा. आज इस छोटी सी रिपोर्ट के साथ कुछ चित्र देखिये.
हरदेव सोढी 'अश्क' की पुस्तक 'समय के साए' का विमोचन
कार्यक्रम के बाद का सामूहिक फोटो सेशन १
कार्यक्रम के बाद का सामूहिक फोटो सेशन २
सुबह सवेरे नाश्ते की मेज़ पर आचार्य श्रीनाथ प्रसाद द्विवेदी एवं उनकी जीवन संगिनी श्रीमती कांति द्विवेदी
आचार्य द्विवेदी, श्रीमती द्विवेदी तथा श्रीमती दीप्ति शुक्ला
कनाडा में आचार्य जी सर्व धर्म समभाव हेतु होने वाली गोष्ठीयों में नियमित जाते हैं, सुबह सुबह अल्पहार के समय उन्होंने बताया की ऐसे स्थानों पर पहली शर्त ये होती है की आपको अपने ग्रंथों का ज्ञान भली भांति होना चाहिए तथा केवल मेरा मार्ग सही है बाकी सबका ग़लत है वाली भावना नही होनी चाहिए.
आचार्य श्रीनाथ प्रसाद द्विवेदी तथा अबोश उपाध्याय
आशुकविता लिखने में तल्लीन राहुल उपाध्याय
आचार्य जी के मधुर कंठ से सुंदर गीत सुनकर रमानाथ अवस्थी जी की स्मृतियाँ पुनर्जीवित हो उठीं
कविता पढ़ते हुए अभिनव शुक्ला
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कनाडा (वेंकूवर) में कवि सम्मेलन
Dec 1, 2007प्रेषक: अभिनव @ 12/01/2007
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2 प्रतिक्रियाएं:
पढ़-देख कर बहुत अच्छा लगा। वेंकूवर भी अपनापन लिये लगता है।
विदेशो मे हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार हेतु कवि सम्मेलन आयोजित होते है बेहद ख़ुशी क़ी बात है. अच्छा समाचार. धन्यवाद
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