अलार्म बज बज कर, सुबह को बुलाने का प्रयत्न कर रहा है, बाहर बर्फ बरस रही है, दो मार्ग हैं, या तो मुँह ढक कर सो जाएँ, या फिर उठें, गूँजें और 'निनाद' हो जाएँ।
या तो ज़हर लुटाइए या टूट लीजिए,इंसानियत का धान ज़रा कूट लीजिए,कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए,क्यों आपने संस्कृति की रक्षा की बात की,फिरकापरस्त आप हैं, अब फूट लीजिए,इसके ही दम पे बन गए मिर्ज़ा से बढ़िया शेर,बिस्मिल्लाह कीजिए, ज़रा दो घूँट लीजिए,आंगन में हैलीकाप्टर उतार कर कहा,बढ़िया समाजवाद का ये सूट लीजिए,बेगानेपन से बात भी होगी नहीं हुज़ूर,अपना बना के आप हमें लूट लीजिए।
क्यों आपने संस्कृति की रक्षा की बात की,फिरकापरस्त आप हैं, अब फूट लीजिए,क्या बात है..
वाह भाई ! बहुत खूबकुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए,आंगन में हैलीकाप्टर उतार कर कहा,बढ़िया समाजवाद का ये सूट लीजिएये पंक्तियाँ तो खास तौर पर पसंद आईं।
बिस्मिल्लाह ! बिस्मिल्लाह !
"कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए"वाह क्या शेर मारा है आपने। :)
वाह-वाह मेरी दाद स्वीकार करें. बहुत खूब रचा है आपने.
"कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए"
usa me rahkar achcha likha hai , gujrat me wali dakkani ki majar ke peeche wali jhuggi me rahkar yahi baat kaho , tab baat banti hai.
बिस्मिल्लाह ! किये लेते हैं...बहुत खूब. :)
क्या बात है!!! भई, मुसीबत यह है कि हमारे पास ना तो शराफत का नाम है और ना ही शराफत का जाम हाथ में है - सो अब गाली गलौज कैसे करें? चलो, बिना गाली गलौज के ही आपको अपना बना के आपकी गज़ल का मज़ा लूट लेते हैं। बहुत ख़ूब लिखते हैं आप!
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9 प्रतिक्रियाएं:
क्यों आपने संस्कृति की रक्षा की बात की,
फिरकापरस्त आप हैं, अब फूट लीजिए,
क्या बात है..
वाह भाई ! बहुत खूब
कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,
गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए,
आंगन में हैलीकाप्टर उतार कर कहा,
बढ़िया समाजवाद का ये सूट लीजिए
ये पंक्तियाँ तो खास तौर पर पसंद आईं।
बिस्मिल्लाह ! बिस्मिल्लाह !
"कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,
गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए"
वाह क्या शेर मारा है आपने। :)
वाह-वाह मेरी दाद स्वीकार करें. बहुत खूब रचा है आपने.
"कुछ लोग कह रहें हैं शराफत के नाम पर,
गाली गलौज करने की अब छूट लीजिए"
usa me rahkar achcha likha hai , gujrat me wali dakkani ki majar ke peeche wali jhuggi me rahkar yahi baat kaho , tab baat banti hai.
बिस्मिल्लाह ! किये लेते हैं...बहुत खूब. :)
क्या बात है!!!
भई, मुसीबत यह है कि हमारे पास ना तो शराफत का नाम है और ना ही शराफत का
जाम हाथ में है - सो अब गाली गलौज कैसे करें? चलो, बिना गाली गलौज के ही आपको अपना बना के आपकी गज़ल का मज़ा लूट लेते हैं।
बहुत ख़ूब लिखते हैं आप!
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