भीड़तंत्र

Aug 14, 2018

जात पात है स्वतंत्र,
नफरतें स्वतंत्र हैं,
छद्म वेष में स्वतंत्र,
दुष्टता के मंत्र हैं,
यत्र तत्र क्रूरता है,
धूर्तता स्वतंत्र है,
कहो! क्या राष्ट्र देवियों की,
अस्मिता स्वतंत्र है,
जंग खा रहा हमारी,
एकता का यंत्र है,
लोकतंत्र है बँधा,
स्वतंत्र भीड़तंत्र है,
जो भीड़तंत्र से इसे स्वतंत्र न कराओगे,
स्वतंत्रता दिवस अधिक समय नहीं मनाओगे।
© अभिनव शुक्ल

0 प्रतिक्रियाएं: