इधर गुरुदेव से बात हो रही थी तो उन्होंने बतलाया की शबीना अदीब जी बहुत बढ़िया गीत लिखती हैं. आज यू ट्यूब पर उनका ये गीत सुनाने को मिला. सोचा छोटी दिवाली पर आप सबको भी सुनवाया जाए. आप सभी को दिवाली की ढेर सारी शुभकामनाएं.
तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो,
दिल दुखे जिससे अब ऐसी न कोई बात कहो,
रोज़ रोटी के लिए अपना वतन मत छोड़ो,
जिसको सींचा है लहू से वो चमन मत छोड़ो,
जाके परदेस में चाहत को तरस जाओगे,
ऐसी बेलौस मोहब्बत को तरस जाओगे,
फूल परदेस में चाहत का नहीं खिलता है,
ईद के दिन भी गले कोई नहीं मिलता है,
तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो.
मैं कभी तुमसे करूंगी न कोई फरमाइश,
ऐश ओ आराम की जागेगी न दिल में ख्वाहिश,
फातिमा बीबी की बेटी हूँ भरोसा रखो,
मैं तुम्हारे लिए जीती हूँ भरोसा रखो,
लाख दुःख दर्द हों हंस हंस के गुज़र कर लूंगी,
पेट पर बाँध के पत्थर भी बसर कर लूंगी,
तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो.
तुम अगर जाओगे परदेस सजा कर सपना,
और जब आओगे चमका के मुकद्दर अपना,
मेरे चेहरे की चमक ख़ाक में मिल जायेगी,
मेरी जुल्फों से ये खुशबू भी नहीं आएगी,
हीरे और मोती पहन कर भी न सज पाऊँगी,
सुर्ख जूडे में भी बेवा सी नज़र आऊँगी,
तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो.
दर्दे फुरकत गम ए तन्हाई न सह पाउंगी,
मैं अकेली किसी सूरत भी न रह पाऊँगी,
मेरे दामन के लिए बाग़ में कांटे न चुनो,
तुमने जाने की अगर ठान ली दिल में तो सुनो,
अपने हाथों से मुझे ज़हर पिला कर जाना,
मेरी मिट्टी को भी मिट्टी में मिलकर जाना,
तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो.
- कवयित्री: शबीना अदीब
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शबीना अदीब का बेहतरीन गीत - तुम मुझे छोड़ के मत जाओ मेरे पास रहो
Oct 16, 2009प्रेषक: अभिनव @ 10/16/2009
Labels: भई वाह
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3 प्रतिक्रियाएं:
सीहोर के कवि सम्मेलन में उनको बुलाया है । मैं व्यक्तिगत रूप से उनकी सादगी का कायल हूं और उनके पढ़ने के लहज़े का ।
सुना है मैने इनको..कानपुर का सम्मेलन यूट्यूब पर है..बेहतरीन पढ़ती हैं..
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
Behtreen prastuti....
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