तो सुनो,
तुम्हारी आवाज़ मुझे दुनिया की सबसे मीठी आवाज़ लगती है,
जब जब तुम बोलती हो,
खाना बन गया है,
तुम आराम करो,
लाओ मैं तुम्हारे पैर दबा दूं,
मुझे लगता है की मेरे कानों में शहद घोल रही हो तुम्हारी आवाज़.
तुम्हारे कपड़े प्रेस हो गए हैं,
मैंने तुम्हारा कमरा ठीक कर दिया है,
ये लो अपना टिफिन,
मुझे लगता है की क्या तुमसे मीठी हो सकती है कोई भी आवाज़,
जब तुम कहती हो की,
बर्तन माँज दो,
कपड़े ले आओ ड्रायर से,
बच्चे का डायपर बदल दो,
मैं परहेज़ करता हूँ ऐसी आवाजें सुनने से.
टेबल पोंछ दो,
चलो मेरे साथ बाज़ार,
भर दो सारे बिल,
मेरे कान पकने लगते हैं,
ताकि मुझे सदा मीठी लगती रहे तुम्हारी आवाज़,
Abhinav Shukla
206-694-3353
3 प्रतिक्रियाएं:
वाह वाह क्या अंदाज़ है बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये बधाई वैसे उसे जरूर मीठी लगती होगी क्यों क आप् अपना सच कबूल रहे हो।
आवाजें तो मीठी और मधुर तभी लगती हैं....जब वे हमारे मन के अनुकूल हों....अन्यथा.....!!...खैर आपने इस मधुरता के बहाने रोज-रोज की किचकिच का जो खाका खींचा है उसने बड़ा प्रभावित किया....आपका आभार....!!
क्या अंदाजे बयाँ हैं
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