तुम्हारी आवाज़,
आज तुमने मुझसे पूछा कि मुझे तुम्हारी आवाज़ कैसी लगती है,
तो सुनो,
तुम्हारी आवाज़ मुझे दुनिया की सबसे मीठी आवाज़ लगती है,
जब जब तुम बोलती हो,
खाना बन गया है,
तुम आराम करो,
लाओ मैं तुम्हारे पैर दबा दूं,
मुझे लगता है की मेरे कानों में शहद घोल रही हो तुम्हारी आवाज़.
जब जब तुम बोलती हो,
तुम्हारे कपड़े प्रेस हो गए हैं,
मैंने तुम्हारा कमरा ठीक कर दिया है,
ये लो अपना टिफिन,
मुझे लगता है, क्या तुमसे मीठी हो सकती है कोई भी आवाज़,
पर न जाने क्यों मुझे कड़वी लगने लगती है तुम्हारी आवाज़,
जब जब तुम कहती हो,
बर्तन माँज दो,
कपड़े ले आओ ड्रायर से,
बच्चे का डायपर बदल दो,
मैं परहेज़ करता हूँ ऐसी आवाजें सुनने से.
जब जब तुम आदेश देती हो,
टेबल पोंछ दो,
चलो मेरे साथ बाज़ार,
भर दो सारे बिल,
मेरे कान पकने लगते हैं,
कोशिश करना कि तुम्हारी आवाज़ की मिठास सदा उसकी कड़वाहट पर भारी रहे,
ताकि मुझे सदा मीठी लगती रहे,
तुम्हारी आवाज़,
वैसे तुमको मेरी आवाज़ कैसी लगती है?
----------------------------------
मेरी आवाज़,
मेरे एक ज़रा से प्रश्न के उत्तर में,
तुमने अपनी पूरी मानसिकता उडेल कर रख दी,
फिर भी मुझे नहीं बताया,
कि मेरी आवाज़ तुम्हें लगती कैसी है,
मैं बताती हूँ,
कि मुझे तुम्हारी आवाज़ कैसी लगती है,
सुनो,
मुझे तुम्हारी आवाज़ बहुत मीठी लगती थी,
जब शादी से पहले,
तुम किया करते थे उच्च आदर्शों की बातें,
कहा करते थे की स्त्री और पुरुष में फर्क नहीं करते हो,
मेरी हर ग़लती को कोई बात नहीं कह कर टाल दिया करते थे,
मुझे लगता था,
ये आवाज़ तो मैं अपने जीवन भर सुन सकती हूँ,
मुझे आज भी कभी कभी अच्छी लगती है तुम्हारी आवाज़,
जब सुबह सुबह तुम मुझे जगाते हुए कहते हो, चाय पी लो,
जब बिना कहे मुन्ने को कर देते हो तैयार,
मेरे खाना खाते समय जब तुम मेरे पास बैठ जाते हो बिना किसी मान मनौवल के,
तब तब मेरे कानों में मिसरी घोल जाती है तुम्हारी आवाज़,
लेकिन,
न जाने क्यों,
मुझे ज्यादातर कड़वी लगने लगी है,
जब जब तुम कहते हो,
मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता,
ये क्यों खरीदना है,
मेरे पास तुमसे बातचीत करने का समय नहीं है,
मुझे दुखी कर जाती है तुम्हारी आवाज़,
मुझे लगती है ज़हरीली,
जब तुम बनाते हो बहाने,
मुझको देते हो ताने,
मेरे मायके को कुछ बोलते हो जाने अनजाने,
मुझे लगता है,
मैं और नहीं सुन सकती,
क्या तुम कोशिश करने को तैयार हो,
ताकि मुझे तुम्हारी आवाज़ हमेशा मीठी लगे.
महा लिख्खाड़
-
सियार4 days ago
-
मैं हूं इक लम्हा1 week ago
-
दिवाली भी शुभ है और दीवाली भी शुभ हो4 weeks ago
-
-
बाग में टपके आम बीनने का मजा4 months ago
-
मुसीबतें भी अलग अलग आकार की होती है1 year ago
-
पितृ पक्ष1 year ago
-
-
व्यतीत4 years ago
-
Demonetization and Mobile Banking7 years ago
-
मछली का नाम मार्गरेटा..!!9 years ago
नाप तोल
1 Aug2022 - 240
1 Jul2022 - 246
1 Jun2022 - 242
1 Jan 2022 - 237
1 Jun 2021 - 230
1 Jan 2021 - 221
1 Jun 2020 - 256
तुम्हारी और मेरी आवाज़
Aug 22, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
7 प्रतिक्रियाएं:
बहुत सुन्दर रचना, लाजवाब। बधाई
बहुत सुन्दर रचना, लाजवाब। बधाई
बेहतरीन-दोनों पक्ष.. :)
गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाऐं.
सुन्दर-
बहुत आभार.
श्री गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभ कामनाएं-
आपका शुभ हो, मंगल हो, कल्याण हो |
कृपया ये लिंक भी देख लें-
http://bhartimayank.blogspot.com/2009/08/blog-post_22.html
आपने दोनों पक्ष रख दिए ...रचना भी सुंदर बन पड़ी है ...अब आवाजें मीठी हुई या कड़वी ये तो आप जाने .....!!
बहरहाल सुन्दर रचना की बधाई ....!!
बेहतरीन रचना अभिनव जी.... मेरी और तुम्हारी दोनों आवाजों के माध्यम से आपने मानव मन की अच्छी मीमांसा की है...भाव और शब्द दोनों गहराई लिए हुए हैं...बहुत बहुत बधाई....
नीरज
Awesome
Post a Comment