ज़रा हट कर है, 'इंडियन लाफ्टर' देखिये,
आपसे क्या मतलब, आप बम फेंकिये,
मुंबई को बना दीजिये बमबई,
अरे, ये बगल से किसकी गोली गई,
किसने चलाई, क्यों चलाई, किस पर चलाई,
अमां छोडिये ये लीजिये दूध में एक्स्ट्रा मलाई,
सुनिए, लता क्या सुंदर गाती है,
ये किसके रोने की आवाज़ आती है,
हम लगातार पाँच मैच जीते हैं,
जो अपाहिज हुए हैं उनके दिन कैसे बीते हैं,
लगता है होटल में आग लग गई है,
बहुत सर्दी हो रही है हाथ सेंकिए,
'इंडियन लाफ्टर' देखिये.
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'इंडियन लाफ्टर' देखिये
Nov 27, 2008प्रेषक: अभिनव @ 11/27/2008
Labels: कविताएं
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4 प्रतिक्रियाएं:
दुर्भाग्य पर हंस ही सकते हैं?!
सही चोट की है। बढिया रचना लिखी है।
रोना तो यही है हम मजे मे है देश जाये भाड में
How beautifully u had arranged the words in poem. Now ppl have no time to sentiments, so each have its own time own life to spare.
Anyway beautiful lines u have thankx again., U may please go thru my blog www.voiceofkanpur.blogspot.com
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