अथर्व, तुम्हारा स्वागत है,
आओ आकर जग को अपनी खुशबू से महकाओ तुम,
मानवता के बाग़ में खिलते हुए पुष्प बन जाओ तुम,
चित्र बनाओ बदल पर जीवन की सुन्दरताई के,
रंग भरो कोमलता के, दृढ़ता के औ' सच्चाई के,
सदा प्रतिष्ठा जनित तुम्हारी कीर्ति जगत में व्याप्त रहे,
जो देवों को भी दुर्लभ स्थान वो तुमको प्राप्त रहे,
हंसो और मुस्काओ खिलकर, खुलकर सबका मान करो,
कभी घृणा न करो किसी से प्रेम, पुण्य, तप दान करो,
देखो पलक बिछाए बैठी दुनिया तुमसे बोल रही,
अथर्व तुम्हारा स्वागत है,
न तो मन मन में पीड़ा थी न तन तन में तबाही थी,
ये दुनिया वैसी तो न है जैसी हमनें चाही थी,
अभी बहुत से पोखर ताल शिकारे सूखे बैठे हैं,
अभी बहुत से सूरज चाँद सितारे भूखे बैठे हैं,
अभी बहुत सी नदियों में ज़हरीली नफरत बहती है,
रहती है खामोश मगर ये धरा बहुत कुछ कहती है,
देखो तुम भी देखो कट्टरता की शाखा बढ़ी हुयी,
और तुम्हारे पिता की पीढी हाथ झाड़ कर खड़ी हुयी,
शब्दों की थाली से तुमको तिलक लगाने को आतुर,
अथर्व तुम्हारा स्वागत है,
रहो कहीं भी किसी देश में कोई भी भाषा बोलो तुम,
किसी धर्म को चुनो किसी जीवन साथी के हो लो तुम,
कोई भी व्यवसाय तुम्हारा हो कोई भी भोजन हो,
किंतु हृदय में पावनता हो शुभ संकल्प प्रयोजन हो,
देश तुम्हारा भेदभाव न करे न्याय का दाता हो,
भाषा जिसमें झूम झूम कर जीवन गीत सुनाता हो,
धर्म हो ऐसा जो सब धर्मों का समुचित सम्मान करे,
जीवन साथी जीवन भर जीवन में सुख संचार करे,
व्यवसाय हो सबके हित में भोजन सरल सरस सादा,
अथर्व तुम्हारा स्वागत है.
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अथर्व, तुम्हारा स्वागत है
Nov 24, 2008प्रेषक: अभिनव @ 11/24/2008
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6 प्रतिक्रियाएं:
अभिनव भाई हमारी ओर से अथर्व के आने पर आपको हार्दिक बधाई ..बड़ा शानदार स्वागत किया आपने...कवि ह्रदय जो ठहरा...सुंदर
जो खिला फूल है आँगन में सुरभित कर दे मधुवन सारा
हर कण हो दीप्त ज्योत्सना से, औ बहे मधुर सरसी धारा
अभिनव सोपानों के सम्बल ले जायें गगन के भाल तुम्हें
तुम बनो सभी के मन नभ पर आशाओं का नव ध्रुव तारा
वाह...बहुत सुंदर अभिनव....
अभी बहुत से पोखर ताल शिकारे सूखे बैठे हैं,
अभी बहुत से सूरज चाँद सितारे भूखे बैठे हैं,
अभी बहुत सी नदियों में ज़हरीली नफरत बहती है,
रहती है खामोश मगर ये धरा बहुत कुछ कहती है..
क्या बात है.सुंदर शब्द संयोजन और झकझोरती कृति...
bahut khub
Abhinav, bahut sahi likha hai dost.
bahut bahut badhai Mummy Papa ko aur balak ko anek aashish evam swagatam.
Photo bhi bhejo bhai.
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