दूसरे के मन की बात जान लेने वाले यंत्र के संग्रहक, "वाह वाह" को वाह वाह बनाने वाले, अपने अनोखे स्टाइल में कविता पाठ करने वाले, भारत के लाडले एवं प्रतिभावान कवि, लेखक, फिल्मकार, संचालक, अध्यापक श्री अशोक चक्रधर ८ फरवरी को छप्पन वर्ष के हो गए हैं।
अपने तुलसी बाबा रामचरितमानस में लिख गए हैं कि,
सुनहि बिनय मम बिटप आसोका।
सत्य नाम करु हरु मम सोका।।
अपने नाम को सत्य करते हुए, अपने अशोक चक्रधरजी भी संसार का शोक हरने में लगे हैं।
उनकी एक बात याद आ रही है, आपको सुनाते हैं। जब अमेरिका नें ईराक पर हमला किया तो हमारे मोबाइल पर भारत की गुटनिर्पेक्षता का प्रदर्शन करता हुआ यह संदेसा आया,
"सद्दाम मरे या बुश, हम दोनों में खुश।"
एक कवि सम्मेलन में अशोक जी को सुना तो वे बोले कि आज कल यह संदेश बहुत प्रसारित हो रहा है, पर इसमें एक त्रुटि है, सही बात कुछ ऐसी होनी चाहिए,
"सद्दाम मरे ना बुश, हो दोनो पर अंकुश।"
अंकुश ज़रूरी है, और यह अंकुश प्रेम का भी हो सकता है। आवश्यक नहीं है कि अंकुश हाथी की पीठ पर चढ़कर ही लगाया जाए। यही भारत की संस्कृति है, जो हम संसार तक पहुँचा सकते हैं।
भाई वाह, क्या बात कही है।
आज अपने काका हाथरसी होते तो शायद कुछ ऐसा कहते,
कुंटल भर शुभकामना टन भर आशीर्वाद,
अब के छप्पन हो गया है मेरा दामाद,
है मेरा दामाद करे बढिया कविताई,
फिल्म बनावे खूब, सहेजे अक्षर ढाई,
लल्ला शाम सवेरे बागेश्री को ध्यावे,
सत्तावन से पहले पद्मश्री मिल जावे।
हमारी ओर से अशोक जी को ढेर सारा "हैप्पी बर्थडे टू यू।"
आप भी यदि चाहें तो अपने बधाई संदेश उनकी साईट पर यहाँ प्रेषित कर सकते हैं,
चित्र सौजन्यःअनुभूति एवं अभिव्यक्ति
महा लिख्खाड़
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अशोक चक्रधर - अब हुए छप्पन
Feb 8, 2007प्रेषक: अभिनव @ 2/08/2007
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8 प्रतिक्रियाएं:
कभी दूरदर्शन पर इन्हे सुना करते थे, अब दूर से दर्शन भी दूर्लभ है.
अच्छा लेख. साधूवाद.
चक्रधर जी को जन्मदिन की शुभकामनायें, और आपको इतना जानकारी लेख लिखने पर बधाई... बड़े उत्तम उद्धरण ढूंढ़ के लाये हैं आप.
अशोक चक्रधर जी को जन्म दिवस की और आपको इस कुंडली की बहुत बहुत बधाई. :)
अशोक जी को मेरी ओर मेरे परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई,ओर आपको लेख लिखने के बधाई।
अशोक जी को मेरी ओर मेरे परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक बधाई। ओर आपको लेख
लिखने के बधाई।
अशोक चक्रधर और आपको भी बधाई!
अशोक चक्रधर को सुनने का तो अपना ही अलग मजा है, काफी समय से नही सुना लेकिन।
बढिया अभिनव जी..अच्छा लेख लिखा आपने उनके जन्मदिन पर..हम पढ नही सके थे..उनके जन्मदिन पर ही यहाँ दिल्ली मे हिन्दी भवन मे एक प्रोग्राम भी रखा था इसी नाम से.."अब हुए छप्पन" मुझे खुशी है कि मै उनके सानिध्य मे हूँ..और उनके द्वारा किये गये कई ई-कवि सम्मेलनॉ का अहम किरदार रहाँ हूँ..बहुत सीखने को मिला है उनसे आगे भी मिलता रहे यही उम्मीद है.
यह पक्तियाँ अच्छी बन पडी है..
कुंटल भर शुभकामना टन भर आशीर्वाद,
अब के छप्पन हो गया है मेरा दामाद,
है मेरा दामाद करे बढिया कविताई,
फिल्म बनावे खूब, सहेजे अक्षर ढाई,
लल्ला शाम सवेरे बागेश्री को ध्यावे,
सत्तावन से पहले पद्मश्री मिल जावे।
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