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May 31, 2008प्रेषक: अभिनव @ 5/31/2008 1 प्रतिक्रियाएं
मेरे नगर में आज कल पानी बरसता है बहुत
May 8, 2008मेरे नगर में आज कल पानी बरसता है बहुत,
सदियों पुराना पेड़ पर प्यासा तरसता है बहुत,
रोने की आवाजें मेरे कानों में फिर आने लगीं,
नेपाल नंदीग्राम में कोई तो हँसता है बहुत,
बहने दे थोडी साँस भी महंगाई के ओ देवता,
तू तो गले में डाल कर फंदे को कसता है बहुत,
नफरत के सिर पर बैठने का राजशाही पैंतरा,
कर तो रहा है काम पर ये नाग डसता है बहुत.
प्रेषक: अभिनव @ 5/08/2008 10 प्रतिक्रियाएं
Labels: गीतिका
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