सुनिए साक्षात्कार - जसपाल भट्टी एवं सविता भट्टी को विवाह की रजत जयंती की शुभकामनाएं

Mar 24, 2010



इधर अमेरिका के पूर्वी तट पर हुए एक कार्यक्रम में सविताजी एवं जसपाल भट्टी जी से मिलने का सुअवसर मिला. हमें भी कवितायें सुनाने के लिए इस कार्यक्रम में बुलाया गया था. भट्टी जी के फैन तो हम बचपन से हैं. मौके का लाभ उठाते हुए हमने उनका साक्षात्कार भी ले लिया. आप नीचे सुन सकते हैं. कार्यक्रम के कुछ चित्र भी दिए जा रहे हैं.

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आज इनके विवाह की पच्चीसवीं वर्षगाँठ है, इस अवसर पर सविताजी और जसपालजी को अनेक शुभकामनाएं.

उल्टा पुल्टा हो रहा दुनिया का हर काम,
फुल टेंशन में खो गया जीवन का आराम,
जीवन का आराम फ्लॉप शो बना हुआ है,
चेहरा फिर भी मुस्कानों से सना हुआ है,
सविता औ जसपाल व्यंग के बाण चलायें,
महकें चहकें लहकें हरदम हसें हसायें.

















जली बरेली, हमको क्या?

Mar 15, 2010

नकली जीवन जी कर असली गीत लिखें ये मुश्किल है,
लेकिन असली जीवन भी क्या अब जीने के काबिल है,

प्रश्न बड़ा है, अड़ा पड़ा है, और खड़ा है रस्ते पर,
टंका हुआ है चाँद सितारा, क्यों मुजरिम के बस्ते पर,

भूख, गरीबी, मज़हब, बीबी, बदला खून खराबे का,
इन सब में ही छिपा है जंतर मंतर काशी काबे का,

बम्ब धमाके, चोरी डाके, खूब ठहाके, हमको क्या?
होली खेली, रंगी हथेली, जली बरेली, हमको क्या?