मानवाधिकार

Jan 31, 2017

असुरों को देवता समान मान पूजना तो,
दुष्टता है, इसका चलन मत कीजिए,
रावण की नीचताएँ इतनी ही प्रिय हैं तो,
नगरी में रावण दहन मत कीजिए,
तर्क औ' वितर्क, वाद प्रतिवाद ठीक किंतु,
व्यर्थ के कुतर्क का वहन मत कीजिए,
दानवाधिकार वाली तलवार भांज कर,
मानवाधिकार का हनन मत कीजिए।


घर घर में अफ़ज़ल जैसों की जो फसल उगाने वाले हैं,
हम उनके मंसूबों को जड़ से ही मिटाने वाले हैं।
हम बाबा साहब के बेटे, हम गांधी के भक्त मगर,
वीर शिवा के वंशज भी हैं, ध्वज फहराने वाले हैं।

भगत सिंह, सुखदेव हमारे कुनबे के थे, ध्यान रहे!
राष्ट्रद्रोह करने वालों को धूल चटाने वाले हैं।
भारत की बर्बादी तक जो जंग चलाने वाले हैं,
हम उनकी बर्बादी का पैगाम सुनाने वाले हैं।

भारत की बर्बादी के सपने को लेकर आँखों में,
लाल सलामी ठोंक ठोंक कर चीख रहे जो रातों में,
माँ का दूध लजाने वाली कैसी शिक्षा पाते हैं,
आस्तीन के साँप भला ये किस विद्यालय जाते हैं?

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