पुनः ब्याह रचाओगी

Jan 31, 2017

बीस बरस तक़रार के, एक सदी का प्यार,
यह अपने संबंध के, सब वर्षों का सार।
ग्यारह वर्ष हुए किन्तु ये लगता है,
मानो ग्यारह माह मात्र ही बीते हों,
ग्यारह माह भी कुछ ज्यादा ही लगते हैं,
मानो ग्यारह दिवस मात्र ही बीते हों,
ग्यारह दिवस न न न चंद घंटे केवल,
या मानो कि मिनट ग्यारह बीते हों,
ग्यारह सेकेंडों की ही गाथा लगती है,
जब तुमने अपनी वरमाला डाली थी,
लेकर हाथों में एक ताज़ा सुर्ख गुलाब,
अब भी मेरा मन करता है, मैं बोलूँ,
ओ मेरे बच्चों की प्यारी सी मम्मी,
क्या तुम मुझसे पुनः ब्याह रचाओगी।

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