देशभक्ति का मौसम

Jan 31, 2017


देशभक्ति के मौसम में छींकने के भी अनेक प्रकार होते हैं। भलभला के मुँह बा के छींकने को देशभक्ति नहीं माना जा सकता है। छींक की ध्वनि ऐसी हो मानो किसी ने रिवाल्वर पर साइलेंसर लगा कर गोली दाग़ी हो। मरने वाले को पता भी न चले कि क्या हुआ और उसकी आत्मा महाराज चित्रगुप्त के द्वार पहुँच जाए। वैसे ही आस पास वालों को हवा लगे बग़ैर घुप्प से छींका और ऐसा मुँह बना लिया मानो हम का जानी को छींकिस। जो ग़द्दार जन ज़ोर से छींकते हैं उन्हें छींकने के उपरांत शर्मिंदा होना पड़ सकता है, वहीं देशभक्त छींक मारने वाले लोगों को 'ब्लेस यू' जैसे अमृत वचनों से नवाज़ा जाता है। एक तीसरे प्रकार की छींक भी होती है जिसमें आक्छी की आवाज़ आती है। पहले उसे देशभक्ति का गौरव हासिल था, पर अब मजाल है कि कोई पब्लिक प्लेस में वैसे छींक सके। ऐसे में आपको पुलिस एक बार छोड़ भी दे पर सोशल मीडिया पर विचरने वाले छींक रक्षक आपका छींकना मुश्किल कर देंगे। ये मौसम ऐसा है कि अव्वल तो आप छींकिए ही मत, और यदि छींकना पड़ ही जाए तो भरसक प्रयास कर तयशुदा स्वर ही प्रवाहित करिए। टेगौर ने कहा था कि मानवता राष्ट्र से बड़ी है, आप छींक के स्वर को मानवता के भी ऊपर जानिए तथा सुख से लाईन में खड़े रहिए।

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