कुछ सामयिक लघु कथाएं

Jan 31, 2017


कवच कुण्डल 
और फिर सूर्य देव ने कर्ण से कहा कि, 'हे अंगराज, महा-अभिमानी कर्ण, द्रौपदी का अपमान कर, तुम अधर्म की राह पर कदम बढ़ा चुके हो। मेरे कवच कुण्डल वापस कर दो।' 
कर्ण बोला, 'पितृवर, आपने स्वयं मुझे ये कवच कुण्डल प्रदान किये हैं, मैं इन्हें वापस नहीं कर सकता, यह मुझे अपने प्राणों से भी प्रिय हैं। अंग देश में हुई अनेकानेक सभाओं में मैंने इनका गुणगान किया है। अब तो ये मेरी पहचान का हिस्सा बन चुके हैं। शास्त्रों एवं लोकपाल के अनुसार एक बार दी हुयी वस्तु पर उसके ओरिजिनल मालिक का कोई हक़ नहीं रह जाता है, चाहे कवच कुण्डल हों अथवा वोट। अतः इस विषय में अब आगे कोई चर्चा नहीं होगी।'
सूर्य देव ने निराश होकर वहां से प्रस्थान किया तथा स्वर्ग लोक में इंद्र देव के यहाँ चाय पीने चले गए।

------------------------
मंगल पाण्डे अमर रहें!

मिश्रा जी सुबह सुबह मुंह में 'श्याम बहार' (बुद्धिवर्धक चूर्ण एवं सुपारी का कत्थायुक्त आध्यात्मिक समिश्रण) दबाये 'मंगल मंगल हो' गाए पड़े थे। हमने पूछा की दद्दा ये बुधवार के दिन का 'मंगल मंगल' गाय रहे हो। वो बोले कि बबुआ, 'आज पाण्डे दिवस है, जानत नहीं को क्या। आज ऐ के दिन मंगल पाण्डे को फांसी दी गई थी। आज हमें विद्रोह करना है हर शोषण के खिलाफ और हो जाना है पूर्ण रूप से स्वतंत्र। अरे हमरी ही जात के रहे, पक्के बामन, उनकी स्मृति को जीवित रखना है, किसी से दबना नहीं है, कहीं झुकना नहीं है।' इतना कह कर उन्होंने गले में टाई डाली तथा टाई बनाने वाले के परिवार के सभी सदस्यों को ढेर सारे आशीर्वचन देते हुए बोले, 'साली, गले को दबाये रहती है, पर क्या करें नौकरी भी तो करनी है, तनखा काट लेता है मैनेजर। तदुपरांत वे 'मंगल मंगल' गाते हुए अपने काम की ओर कूच कर गए। मंगल पाण्डे अमर रहें!
--------------------------

कलयुगी शिष्य

और फिर आचार्य ने कौरवों और पांडवों को एक न्यूज़ चैनल के सामने ले जाकर प्रश्न किया?
'सुवीर्यवान, तुम्हें क्या दिख रहा है?'
'मुझे, पार्टी को हराने की कोशिश दिख रही है।'
'विवित्सु, तुम्हें क्या दिख रहा है?'
'मुझे, आँखों में आंसू लिए अपना ईमानदार नेता दिख रहा है।'
'भीमसेन, तुम्हें क्या दिख रहा है?'
'मुझे, वे पिछवाड़े दिख रहे हैं जिन पर लात मारनी है।'
'अर्जुन, तुम्हें क्या दिख रहा है?'
'गुरुवर, मुझे तो मात्र राज्यसभा की कुर्सी दिख रही है?'
'विजयी भव अर्जुन, तुम ही मेरे सच्चे कलयुगी शिष्य हो।'
------------------------

सच्चा स्वराज 

विश्वामित्र ने जब दूर से मेनका को आते देखा, तब वे लपक कर तपस्या करने वाले पोज़ में बैठ गए। मेनका आईं तथा उन्होंने विश्वामित्र की तपस्या भंग कर दी। तपस्या भंग करने के बाद मेनका ने प्रश्न किया, 'हे नाथ! ये हमारे द्वारा जो कर्म हुआ है उसका उद्देश्य क्या है?' विश्वामित्र ने अचकचा कर कहा, 'देवी! ये सारा कर्म स्वराज के जन्म के हेतु किया गया है।' उस कालखंड में, समय आने पर स्वराज के स्थान पर शकुंतला का जन्म हुआ। परन्तु समाज में स्वराज लाने के प्रतिबद्ध नेता आज भी मेनकाओं को देख कर समाधि लगा लेते हैं तथा स्वराज लाने को तत्पर रहते हैं।
------------------------
राज्य-अभिषेक
जब बाली ने सुग्रीव को अपने नगर से बाहर किया तथा उससे शत्रुता की सार्वजानिक घोषणा करी तब उसके एक सभासद ने यह वचन कहे, 
'महाराज, इस सुग्रीव ने आपके राज्य-अभिषेक में कितना योगदान दिया है, कितनी प्लानिंग करी है, कितनी टी आर पी बढाई है, बहुत सारे लोग तो मात्र इसकी वजह से ही आपको राजा मानते हैं, यदि आप इसको निकाल देते हैं तो आपकी शक्ति का क्षय होगा।' 
यह सुन बाली जोर से कटकटाया और उस सभासद के पीछे ऐसी लात मारी की वह सीधे ऋष्यमूक पर्वत पर जा गिरा। 
तभी टीवी पर ब्रेक हुआ तथा एक 'इस्तेमाल करो और फेंको' (use and throw) उत्पाद के विज्ञापन हेतु सुंदरियाँ अपने जादू बिखेरने लगीं। हमने उठ कर पानी पिया और बरामदे में लटकी 'मैं अन्ना हूँ' लिखी गांधी टोपी पहन कर पुनः रामायण देखने में स्वयं को संलग्न करने लगे।

0 प्रतिक्रियाएं: