डरो और ज़िंदा रहो

Jan 31, 2017

डरो और ज़िंदा रहो,
ये हमारे समय का मूल मन्त्र है,
मैं डरूँ कुछ बोलने से,
तुम कुछ सुनने से डरो,
वे डरें कुछ खाने से,
हम डरें बाहर जाने से,
डरते हुए सोएं,
डरते हुए जगें,
डरते डरते अपने,
भगवान को भजें,
और फिर भवसागर तर जाएँ,
डरते डरते मर जाएँ।

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