रामधारी सिंह "दिनकर"

Sep 23, 2025

 

‘उर्वशी’ में शृंगार, ‘संस्कृति’ में विचार,
'कुरुक्षेत्र' लिख 'हुंकार' को जगा गए|
‘रश्मिरथी’ से गूँज उठी न्याय की पुकार,
अन्याय के विरुद्ध युद्ध बरपा गए|
भाषा को संवार, रस छंद अलंकार भर,
कविता की देहरी पे दीपक जला गए|
मन के अंधेरों को बुहार कर दिनकर,
भारत की आत्मा से परिचय करा गए|


0 प्रतिक्रियाएं: