क्रन्तिकारी मित्र झूठे अभियोग तान कर,
अपने चरित्र का प्रमाण दिखलाते हैं|
पहले से फैसले पे मोहर लगाय कर,
बाद में अदालत का खेल दिखलाते हैं|
विघ्नसंतोषी जन न्याय के प्रतीक बन,
आभासी नगरीया में गाल बजवाते हैं।
ऐसे महानुभावों को दूर ही से है प्रणाम,
बात बिना बात जो बवंडर मचाते हैं|
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