यू पी - भारत की धड़कन
जहाँ गंगा जमुना सरस्वती का पावन संगम होता है,
जहाँ मातु यशोदा की गोदी में झूल कन्हैया सोता है,
जहाँ रामचरितमानस के स्वर गलियों में गूंजा करते हैं,
तुलसी-कबीर-रसखान-सूर घर घर में पूजा करते हैं|
जहाँ चैती, कजरी, बिरहा, आल्हा, सावन गाया जाता है,
अवधी, बुंदेली, भोजपुरी, ब्रज रंग सजाया जाता है,
जहाँ एक तरफ हैं गीता प्रेस अक्षर पढ़ना सिखलाते हैं,
दूजे हैं बांके पहलवान कुश्ती लड़कर दिखलाते हैं|
साड़ी, चूड़ी, खुशरंग इत्र संग सुरमा और कटारी हैं,
पीतल, नक्काशी, जरदोज़ी, ताले, कालीन हमारी हैं,
जहाँ ताजमहल की श्वेत धरोहर प्रेम रंग बिखराती है,
नित पान की लाली होठों पर मुस्कान सुरीली लाती है|
बम भोले, हर हर महादेव की काशी जहाँ सुशोभित है,
वह धरती जिसकी जगमग से जगपालक तलक अचंभित है,
मेरठ है, मंगल पांडे हैं, झाँसी है, लक्ष्मी रानी हैं,
आज़ाद, पथिक, बिस्मिल, टंडन, अशफाकुल्ला, मोहानी हैं|
बिस्मिल्ला की शहनाई जहाँ सुबह को पुकारा करती है,
हर शाम ए अवध तहज़ीबों की ज़ुल्फ़ों को संवारा करती है,
तुमको लगता है, बस धोती, गमछा और अचकन रहती है,
मुझको लगता है यू पी में भारत की धड़कन रहती है।
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