हनुमान जी की पूँछ जो जलाई रावण ने,
लंका नगरी हेतु महाविपात हो गई।
आधी रात में ही सिन्दूरी सी सुबह हुई,
सुबह जो हुई दुष्टों की रात हो गई।
तुर्क, चीन, पाक — सब पुतले दहन हुए,
धूल धसरित सारी चौधरात हो गई।
"जय हिंद" की ध्वनि से गूंजने लगा गगन,
भारती की आरती की शुरुआत हो गई।
जय हिन्द की सेना! जय हिन्द!
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