आपरेशन सिन्दूर - चार दिन चार छंद

May 11, 2025





मज़हब पूछ कर आग बरसाने वालों,

शौर्य देख के घमंड चूर चूर हो गया| 

चीन-अमरीका-तुर्क कोई न किसी का सगा,

आशा है हर एक भ्रम दूर दूर हो गया| 

सोफिया की व्योमिका की, बात सुनें बिटिया की,

पाप का घड़ा हुज़ूर, भरपूर हो गया| 

प्रीत वाली रीत संग, भरा था जो लाल रंग,

बन के सिन्दूर वही मशहूर हो गया| 


महाराज विक्रम का नाम बतलाता हमें,

न्याय का सदैव अधिपत्य होना चाहिए| 

कपटी कुटिल छली असुरों का विष दल,

इनका दलन अब नित्य होना चाहिए|

खैबर, बलूच, सिंधु की करुण  है पुकार, 

खंड खंड कर कृत कृत्य होना चाहिए| 

सज्जनों को यज्ञ निर्विघ्न पूर्ण करने को,

दुर्जनों का राम नाम सत्य होना चाहिए।


नई तकनीक वाला नए युग का है युद्ध,

नई चाल चल नए रंग भी दिखायेगा| 

पश्चिम जो दे रहा है दुष्ट पाक को उधार,

हथियारों का भी इंतज़ाम करवाएगा| 

गूगल का सीईओ न माईक्रो सॉफ्ट वाला,

अजयपाल ट्रम्प न पटेल काम आएगा| 

खेत की कटाई हेतु स्वयं भिड़ना पड़ेगा,

बाहर से आके कोई हाथ न बंटाएगा| 


घर के पड़ोस में हो ज़हरीला नाग यदि,

फन भी उठाएगा, डसेगा, इतराएगा।

आप भले सत्तरह बार दें खदेड़ उसे,

दुष्ट है, वो बार-बार लौट कर आएगा।

उसको तो जीतना है सिर्फ एक बार, 

साम दाम दंड भेद सब आज़मायेगा| 

धर्म युद्ध है यह, इसे नीति न तोलियेगा,

शास्त्र को भी अंततः शस्त्र ही बचाएगा।


- अभिनव शुक्ल  

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