तुम्हारे प्यार की बरसात भी मुझको डराती है,
बहुत पानी बरसने से नदी में बाढ़ आती है,
बहुत पानी बरसने से नदी में बाढ़ आती है,
शराफत नें हमारा साथ कुछ ऐसे ही छोड़ा है,
कोई बिटिया ज्यों अपने मायके को छोड़ जाती है,
कोई बिटिया ज्यों अपने मायके को छोड़ जाती है,
वही इन्सां वही झगड़े कहाँ का वक्त बदला है,
घड़ी भी देखो, ले दे कर वही टाइम बताती है,
घड़ी भी देखो, ले दे कर वही टाइम बताती है,
कहीं भी हम रहें सब दूर से पहचान लेते हैं,
हमारे माथे पर अब तक ये मिट्टी जगमगाती है,
हमारे माथे पर अब तक ये मिट्टी जगमगाती है,
सरल लिखना बहुत मुश्किल हमें मालूम होता है,
न जाने कौन सी भाषा में कोयल गीत गाती है.
न जाने कौन सी भाषा में कोयल गीत गाती है.
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Abhinav Shukla
206-694-3353
Abhinav Shukla
206-694-3353
P Please consider the environment.
3 प्रतिक्रियाएं:
bahot khub likha hai aapne behad umda bhav bhare huye dhero badhai aapko sahab...........
वाह अभिनव जी,
मजा आ गया, क्या खूब लिखा है
कहीं भी हम रहें सब दूर से पहचान लेते हैं,
हमारे माथे पर अब तक ये मिट्टी जगमगाती है,
अब हमारी तुकबंदी भी पढिये, :-)
कविता गजल नज्म अशार न लिखे कभी हमने
अच्छी गजल ये आखें दूर से ही भांप जाती हैं |
अभिनव
एक सार्थक और सुन्दर रचना के लिये साधुवाद
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