रावण लिखा - पत्थर तैर गया

Oct 10, 2007


राम नाम लिख कर पाहन भी तैर रहे,
सुन हुआ असुरों के मन में भरम है,
रावण नें निज नाम लिखा शिलाखण्ड पर,
सागर में तैर गया भ्रम हुआ कम है,
यह देख चकित हो पूछा मंदोदरी नें,
"कैसी है ये माया भला कौन सा नियम है,"
दशानन बोला "मैंने छोड़ते हुए ये कहा,
तैर जा ओ शिला तुझे राम की कसम है।"



नोटः
१ - यह दन्त कथा हमें वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि श्री गजेन्द्र सोलंकी नें सुनाई थी। हमने मात्र उस कथा को छन्दबद्ध करने का प्रयास किया है।
२ - श्री राम का यह सुन्दर चित्र बाबा सत्यनारायण मौर्य नें बनाया है।
३ - श्री उदय प्रताप सिंह जी के राम छन्द यहाँ क्लिक कर के पढ़ें-सुनें।
४ - राम नाम में बड़ा दम है, चाहे पत्थर पर लिखो चाहे मन पर, सब तर जाता है।

12 प्रतिक्रियाएं:

Udan Tashtari said...

दशानन बोला "मैंने छोड़ते हुए ये कहा,
तैर जा ओ शिला तुझे राम की कसम है।"


--वाह वाह, बहुत खूब बांधा है घनाक्षरी छंद में. अगर मैं सही हूँ तो...मैने तो वैसे ही पढ़ा. :)

Shiv said...

बोलो सियावर रामचंद्र की, जय...

अभिनव, बहुत बढ़िया छन्द.....

बहुत खूब!

कोई भी शब्द बराबर दोहराया जाए तो वह एक अनुनाद पैदा करता है जो आपके मन को व्यवस्थित और शांत कर सकता है। वाल्मीकि ने तो मरा-मरा ही कहा था। लेकिन जाप से आंतरिक शांति ही मिलती है कोई बाहरी संपदा नहीं। चमत्कार की बातों को दन्त्य कथाओं में ही रहने दीजिए।

बहुत सुन्दर! राम के प्रताप से रावण भी तर जायेगा!
हम लोग भी।

पत्थर तो कलम देखते ही तैरने लगते हैं...भाई यह लेखनी का जादू है...न राम का प्रभाव है न रावण का

Anonymous said...

राम की राम जाने, हमें तो छंद पसन्द आया.

Anonymous said...

राम की राम जाने, हमें तो छंद पसन्द आया.

आस्था हो मन में तो प्रह्लाद ने ये कहा
पत्थरों में ईश भी उतर चले आते हैं
एक विश्वास का परस जो मिले तो शिला
क्या है,आ सुमेरु भी तो सिन्धु तैर जाते हैं
नाम तो बहाना मात्र, राम भी बहाना मात्र
एक संकल्प, एक निश्चय, एक आस्था
इनकी पकड़ के जो उंगलियां चलें तो सभी
नाव के बिना ही सिन्धु पार चले जाते हैं

Divine India said...

अच्छी प्रस्तुति…।
राम नाम की शक्ति जो समझें वो भी पार और जो न समझा वो भी पार…बस सबके भीतर राम ही है।

वाह वाह

Neeraj Rajput said...

राम से बडा राम का नाम....जय श्री राम