१.आपकी सबसे प्रिय पिक्चर कौन सी है? क्यों?
-- शोले, क्या ठाकुर अब इसमें क्यों का जवाब देने की क्या बात है। शोले के संवाद और पात्र जीवन में समा चुके हैं तथा बातचीत में इधर उधर से झाँकते रहते हैं, अतः जाने अन्जाने शोले सबसे प्रिय ही होगी। वैसे अन्य फिल्में जो पसंद आईं उनमें रंग दे बसंती, द लेजेन्ड आफ भगत सिंह, सरफरोश, आनंद तथा एक अंग्रेज़ी की फिल्म है फाइंडिंग फारेस्टर।
२.आपके जीवन की सबसे उल्लेखनीय खुशनुमा घटना कौन सी है ?
-- अभी तक सबसे उल्लेखनीय खुशनुमा घटना का आस्कर अंतर्राष्ट्रीय हिंदी समिति द्वारा आयोजित २००५ कवि सम्मेलन श्रंखला को मिलता है।
३.आप किस तरह के चिट्ठे पढ़ना पसन्द करते/करती हैं?
-- हास्य, कविता, व्यंग्य तथा समसामयिक घटनाओं पर होने वाले चर्चात्मक चिट्ठे पसंद हैं।
४.क्या हिन्दी चिट्ठेकारी ने आपके व्यक्तिव में कुछ परिवर्तन या निखार किया?
-- अभी तक बचा रखा है अपने आप को, चिट्ठे से इसमें सहायता मिली है। इस बहाने कुछ लोग मिले जिनके साथ ये बातें हो सकती हैं, अन्यथा आस पास के वातावरण में हिंदीमयता कम है।
५.यदि भगवान आपको भारतवर्ष की एक बात बदल देने का वरदान दें, तो आप क्या बदलना चाहेंगे/चाहेंगी?
-- मैं के बी सी में शाहरुख की जगह दुबारा अमिताभ को देखना चाहूँगा।
६.यदि आप किसी साथी चिट्ठाकार से प्रत्यक्ष में मिलना चाहते हैं तो वो कौन है?
-- अनूप कुमार शुक्ला (फुरसतिया)
७. आपकी पसँद की कोई दो पुस्तकें जो आप बार बार पढते हैं.
-- श्रीमद्भगवद्गीता, संस्कृति के चार अध्याय
लीजिए राकेश जी, अपके सवालों के जवाब
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कुछ सवालों के जवाब
Feb 25, 2007प्रेषक: अभिनव @ 2/25/2007
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6 प्रतिक्रियाएं:
नंबर आधे अभी मिलेंगे, क्योंकि मिले हैं उत्तर आधे
एक बार फिर पढ़ कर देखो, मैने क्या क्या प्रश्न उठाये
दोहराता हूँ फिर से नीचे, मौका मिला और दोबारा
छूट नकल करने की भी है, उतार सूझ अगर न पाये :-)
प्रश्न पाँच यह- क्यों लिखते हो, क्या लिखने को प्रेरित करता
कला पक्ष से भाव पक्ष का कितनी दूर रहा है रिश्ता
कितना तुम्हें जरूरी लगता,लिखने से ज्यादा पढ़ पाना
मनपसंद क्यों विधा तुम्हारी, और किताबों का गुलदस्ता.
क्या शारुख इतना खराब प्रोग्राम करते हैं?
हां बढ़िया लगा यह जानकर कि अभिनव हमसे मिलनोत्सुक हैं। वैसे बता दें कि हमारे-तुम्हारे कुछ पुराने तार भी जुड़ें हैं। तुम्हारे नाना स्व. बृजेंन्द्र अवस्थी जी के हमारे बच्चों के नाना स्व. बृज बिहारीलाल अवस्थी से पारिवारिक सम्बन्ध थे। लखीमपुर में जब वे पढ़ रहे थे तो वे हमारे स्व. ससुर के घर बहुत दिन रहे। यह बातें हमारी पत्नी की बड़ी दीदी डा. निरुपमा अशोकजी ने हमें बताईं जो कि आजकल लखीमपुर में आर्यकन्या डिग्री कालेज में प्राचार्या हैं! आऒ तुम्हारा इंतजार है हमें भी!
बढिया लगा मगर कुछ अधूरा सा, पूरा करो भाई!! राकेश जी प्रश्नावली. :)
सही है जी आपने जो ओब्जेक्टिव टाइप जवाब दिए हैं, इनका बस एक-एक नंबर मिलेगा। :)
अमां ऐसी बीमारी रोज-रोज थोड़े ही ना फैलती है। हमें देखो क्या फुरसत से जवाब दिए हैं।
साफ व सीधी बात. आप पास हुए. :)
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