मज़हब पूछ कर आग बरसाने वालों,
शौर्य देख के घमंड चूर चूर हो गया|
चीन-अमरीका-तुर्क कोई न किसी का सगा,
आशा है हर एक भ्रम दूर दूर हो गया|
सोफिया की व्योमिका की, बात सुनें बिटिया की,
पाप का घड़ा हुज़ूर, भरपूर हो गया|
प्रीत वाली रीत संग, भरा था जो लाल रंग,
बन के सिन्दूर वही मशहूर हो गया|
महाराज विक्रम का नाम बतलाता हमें,
न्याय का सदैव अधिपत्य होना चाहिए|
कपटी कुटिल छली असुरों का विष दल,
इनका दलन अब नित्य होना चाहिए|
खैबर, बलूच, सिंधु की करुण है पुकार,
खंड खंड कर कृत कृत्य होना चाहिए|
सज्जनों को यज्ञ निर्विघ्न पूर्ण करने को,
दुर्जनों का राम नाम सत्य होना चाहिए।
नई तकनीक वाला नए युग का है युद्ध,
नई चाल चल नए रंग भी दिखायेगा|
पश्चिम जो दे रहा है दुष्ट पाक को उधार,
हथियारों का भी इंतज़ाम करवाएगा|
गूगल का सीईओ न माईक्रो सॉफ्ट वाला,
अजयपाल ट्रम्प न पटेल काम आएगा|
खेत की कटाई हेतु स्वयं भिड़ना पड़ेगा,
बाहर से आके कोई हाथ न बंटाएगा|
घर के पड़ोस में हो ज़हरीला नाग यदि,
फन भी उठाएगा, डसेगा, इतराएगा।
आप भले सत्तरह बार दें खदेड़ उसे,
दुष्ट है, वो बार-बार लौट कर आएगा।
उसको तो जीतना है सिर्फ एक बार,
साम दाम दंड भेद सब आज़मायेगा|
धर्म युद्ध है यह, इसे नीति न तोलियेगा,
शास्त्र को भी अंततः शस्त्र ही बचाएगा।
- अभिनव शुक्ल