'हे भगवान्, ये लो गई भैंस पानी में,
अब आई आई टी और आई आई एम् में भी आरक्षण होगा.'
'हाँ, तो क्या, वहां पहले से ही आरक्षण है,
केवल जो पढ़ लिख पाता है उसी को प्रवेश मिलता है,
और एस सी, एस टी भी है.'
'वो भी ग़लत है, पढ़ाई में कैसा आरक्षण,
और अगर देना भी है तो आर्थिक आधार होना चाहिए,
जाति के आधार पर आरक्षण, राम राम,
एक तरफ़ तो दावा की सब समान हैं और दूसरी ओर ये सब.'
'भारत को जानते भी हैं आप,
लोहिया को पढिये जाकर,
बैठ कर बातें बनाते हैं.'
'क्यों लोहिया को पढ़ लूंगा,
तो क्या कॉल सेंटर वाले मेरे लड़के को नौकरी दे देंगे,
फालतू बात करते हैं,
अच्छा ये बताइए की अभी ही कितने आरक्षण वाले पास होकर निकल रहे हैं इनसे,
ब्रांड इंडिया की ऐसी तैसी हो जायेगी,
ये मुद्दा अबकी चुनाव में उठेगा ज़रूर,
तब देखेंगे की आप क्या दलील देते हैं.'
'चुनाव में उठायेंगे,
हा हा हा हा आपको टिकट कौन पार्टी देने जा रही है,
मैडमजी, अटलजी, लालूजी या बहनजी,
भाई हमारे देस में जो पिछडे हैं दलित हैं जनजाति वर्ग है,
सबको आगे बढ़ने का बराबर हक मिलना चाहिए,
ये नही की सब सवर्ण ही कुंडली मार कर बैठ गए.'
'ठीक है ठीक है,
अब आपसे बहस में थोड़े ही न जीतेंगे,
अच्छा छोडिये अपना एक लड़का कल इंटरव्यू दे रहा है,
आप ही के कालेज में,
ज़रा देख लीजियेगा.'
'क्या नाम है,
कायस्थ है न.'
इस प्रकार एक बार फिर हमारे देश का एक ज्वलंत मुद्दा अपनी परिणति तक,
पहुँचता पहुँचता रह गया.
कायस्थ है न
Apr 11, 2008प्रेषक: अभिनव @ 4/11/2008
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9 प्रतिक्रियाएं:
बवाल है।
बिल्कुल चुभता - सटीक - ऐसी ही हैं जिंदा कौमें - मनीष
sahi aor khari bat....
हा-हा-हा....
'क्यों लोहिया को पढ़ लूंगा,
तो क्या कॉल सेंटर वाले मेरे लड़के को नौकरी दे देंगे,
फालतू बात करते हैं,
सही है अभिनव भाई ...बधाई
बिल्कुल जी सजातीय है! और उसके कारण नौकरी के लिये दी जाने वाली रिश्वत में 30% छूट है!
सचमुच गई भैंस पानी में.. :(
वाह, क्या बात है !
कल मैंने एक मित्र से पूछ लिया अरे तुम भी तो सिंह हो? ये अर्जुन सिंह तुम्हारी ही जाति के हैं ना?... तुम्हारी भी चांदी हो जायेगी जल्दी ही.
फिर मेरे मित्र ने अर्जुन सिंह की जाति का जो वर्णन किया ... मैं यहाँ नहीं लिख सकता :D
बहुत बढ़िया बधाई हो...
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