वक्त की झील में तस्वीर बना देती है,
दर्द दे दे के उम्मीदों की दुआ देती है,
कभी आंखों में सजाती है सुनहरे सपने,
कभी ख्वाबों के चिरागों को बुझा देती है,
दिन उगेगा तो ये सूरज की बाँह थामेगी,
अंधेरी रात में दीपक को जला देती है,
हर सबक कैद नहीं होता है किताबों में,
ज़िन्दगी भी बहुत से दाँव सिखा देती है।
ज़िन्दगी भी बहुत से दाँव सिखा देती है
Mar 27, 2007
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4 प्रतिक्रियाएं:
hello sir
accha lagta hain aapki kavita padkar..main bhi kabhi kabhi 2-3 line likh leta hoon..lakin voh kavita ke layak nahi hoti hain...lakin aapki kavita vakai me acchi kavita hian jo ki dil ko chuti hian
kya baat hai.
सही कहा आपने।
घुघूती बासूती
अच्छा है-जिंदगी भी बहुत से सबक सिखा देती है।
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