घर भी सूना, मन भी सूना,
आपके बिन जीवन भी सूना,
किचन बेचारा बोर हो रहा,
उसका हर बर्तन भी सूना,
बर्फ बने अम्बर के आंसू,
मंदिर का चंदन भी सूना,
होतीं तो झगड़ा ही करतीं,
गईं तो अपनापन भी सूना।
आपके बिन जीवन भी सूना,
किचन बेचारा बोर हो रहा,
उसका हर बर्तन भी सूना,
बर्फ बने अम्बर के आंसू,
मंदिर का चंदन भी सूना,
होतीं तो झगड़ा ही करतीं,
गईं तो अपनापन भी सूना।
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