तेरे आने से बिटिया......

Apr 23, 2011

मधुर मधुर गीतों में रस की फुहारें ज्यों,
ज़िन्दगी के कैनवस पे रंग प्यारे प्यारे ज्यों
सुबह की सैर में हों धूप के इशारे ज्यों,
सतरंगी चूनर पे टंके हों सितारे ज्यों,
तेरे आने से बिटिया मौसम यूँ महका है,
फूलों की बगिया में आई हों बहारें ज्यों.

तू जन्मों से संचित किसी पुण्य के फल सी,
मन के मरुस्थल में बूँद बन के आई है,
जब तुझको देखा तो ऐसी अनुभूति हुयी,
जीवन में रुनझुन है गूंजी शहनाई है,
नवयुग की नव बेला राह देखती तेरी,
तू इसमें जीवन की परिभाषा बन जाना,
प्रकृति का तेज त्याग तप तुझमें वास करे,
तू दृढ संकल्पों की अभिलाषा बन जाना,
तेरा अस्तित्व रहे सदा सूर्य सा दीपित,
तेरा प्रवाह, बहें गंगा के धारे ज्यों,
तेरे आने से बिटिया मौसम यूँ महका है,
फूलों की बगिया में आई हों बहारें ज्यों.

11 प्रतिक्रियाएं:

Unknown said...

Congrtulations Abhinav & Deepti for Avika!

wah...sunder rachna..sadhuwaad.

Shikha said...

love it ...

बिटिया सच में रेगिस्तान को भी हरा भरा कर देती है... फूलों की बगिया सी महके और महकाए आपकी बिटिया...

saniya said...

beautiful and heart felt words..

Anonymous said...

Wahhhh.., bahut Badiya.
Badhai

aditya

Anonymous said...

Wah.., Bahut Badiya.

Apne Satkarmo.n ka pratifal
Beta ki kilakari hai...
Purkho.n ke satkarmo.n ka fal
Beti se fulwari hai...

ये कली खिली अँगनाई में सुरव्हित कर दे मन का मधुबन
घर द्वारे गलियाँ बन महकें अलकापुर का नन्दन कानन
अभिनव सपने हौं दीप्त सभी जो लिखे भाल पर विधना ने
अविका की कूची बरसाये, सुधियों पर नित ला कर सावन

हार्दिक मंगलकामनायें

A.K.SHUKLA said...

VERY GOOD ,WELCOME TO NEW BORN CHILD GIRL IN SHUKLA'S FAMILY FROM A.K. SHUKLA & JYOTSNA

Unknown said...

very beautiful !!

अभिनव said...

आदरणीय शकुंतला बहादुर जी की और से मिले आशीर्वचन भी यहाँ प्रेषित कर रहा हूँ:

Subject: अभिनव-दीप्तिसुता नवजात "अविका" के जन्म पर माता-पिता को हार्दिक बधाई!!!

नवजात नन्हीं कलिका अविका के जन्म पर-

अविका ! तुम आ गईं,
मन के आँगन में
खुशियाँ बरसा गईं,
चाँदनी सी छा गईं।
आँगन में चिड़ियाँ चहक उठीं,
उपवन में कलियाँ महक उठीं,
नन्हीं किरणों की ज्योति लिये,
लहरों का सा संगीत लिये ,
वसन्त की कलिका सी,
सुगन्ध बिखरा गईं।
अविका ! तुम आ गईं।।
*
अमुवा पे कोयल कूक उठी,
मधुवन में वंशी गूँज उठी,
कुंजों में नर्तन करें मोर,
उषा जैसे लाई हो भोर,
तुम प्यार भरा सन्देश लिये,
मृदुल नवल लतिका सी,
मन को हर्षा गईं।
अविका ! तुम आ गईं।।
** ** ** **

हार्दिक-शुभाशीष एवं असीम प्यार सहित,
शकुन्तला बहादुर
कैलिफ़ोर्निया