जून २६ २०१०, सियैटल, संयुक्त राज्य अमेरिका: हिंदी भाषा का जो स्वरुप कविताओं में उजागर होता है वह अत्यंत आनंद प्रदान करने वाला होता है. सधे हुए कवि सम्मेलनों में प्रस्तुतिकरण के कौशल द्वारा कविताओं की मिठास में चार चाँद लग जाते हैं. यदि बात हास्य कविताओं की हो रही हो तो फिर मिठास और आनंद का एक नाभकीय विस्फोट होता है. सिएटल नगरी में इस सदी के प्रथम हास्य कवि सम्मलेन का आयोजन २६ जून २०१० को हुआ. सांस्कृतिक संस्था प्रतिध्वनि की ओर से प्रस्तुत हास्य कवि सम्मलेन, झिलमिल २०१० में शताधिक श्रोताओं नें लगभग चार घंटे तक अनेक चटपटी और झिलमिलाती हुई हास्य कविताओं का रसास्वादन किया. विभूति नें मां सरस्वती की वंदना कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया. इस कवि सम्मलेन में न्यू यार्क से पधारी डॉ बिन्देश्वरी अग्रवाल, सिनसिनाटी से आई रेणु राजवंशी गुप्त एवं सियैटल नगरी से अंकुर गुप्त, अनु गर्ग, निहित कौल, अगस्त्य कोहली, सूरज कुमार एवं अभिनव शुक्ल नें अपनी कविताओं का पाठ किया. कार्यक्रम का संचालन अभिनव शुक्ल नें किया. नगरी में पहली बार हुए इस आयोजन को श्रोताओं नें खूब सराहा और आशा व्यक्त करी कि भविष्य में और भी कवि सम्मेलनों से सियैटल को झिलमिलाता रहना चाहिए.
आप झिलमिल कि वेबसाइट यहाँ देख सकते हैं।
सभी चित्र चित्रकार सुभाष चंद्रन के सौजन्य से.
14 प्रतिक्रियाएं:
जानकारी के लिये धन्यवाद । आपको एक सफल आयेजन के लिये बधाई ।
बधाई हो इस सफल आयोजन के लिए. अनेक शुभकामनाएँ.
ऐसे सफल आयोजनों से माहौल बनाकर रखिये ।
अभिनव जी,
हास्य-कविसम्मेलन के समाचार से मन प्रफुल्लित हो गया।आयोजन की सफलता के समाचार ने उसे
द्विगुणित कर दिया। आपको और सभी सहयोगियों को हार्दिक बधाई!! काव्य-पाठ को यू ट्यूब पर डाल देते तो दूरस्थ काव्यानुरागी जन भी सुन लेते।
चित्रों के लिये धन्यवाद।
शकुन्तला बहादुर
कूपरटीनो,कैलिफ़ोर्निया
सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई! आप सुदूर सिएटल में हिंदी का महौल बनाए रहने के लिए जो प्रयास कर रहे हैं वे स्तुत्य हैं.
शानदार आयोजन के लिए हार्दिक बधाई. सुदूर सिएटल में हिंदी की लौ जलाए रखने के लिए आप जो प्रयस कर रहे हैं उनकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है.
lo kar lo baat....ham bhi aa gaye bhyi badhaayi dene....lo paanch kilo badhaayi hamaari bhi le lo...ha...ha ...ha...aise hi hindi kaa dipak jalaaye rakho....!!
गुरु भाई को बधाई बहुत बहुत
अर्श
वाह! बधाई हो।
priy abhinav, aaj achanak tumhare blog se takaraa gayaa. sach kahoon, to mazaa aa ggayaa. amerikaa ki mulakat ab tak hai zehan mey. main beemar padaa tha, to uamane fon bhi kiyaa thaa. aisaa kam hota hai. achchhe insaan ki yahi pahachan hai. kavi sammelan ke ayojan kee khabar dekhi.achchha hai, vahaan kuchh na kuchh hote rahata hai.
प्रिय अनुभव शुभ आशीर्वाद.
आज मैंने आपका ब्लॉग निनाद देखा. बहुत आकर्षक और एक पत्रिका जैसा लेआउट है.
आपकी कवितायें तो मुझे हमेशा अच्छी लगती है, साथ ही पुराने चावलों का भी जिक्र काबिले तारीफ है.
आपके पापा अब भी लखनऊ में रहते हैं या अमेरिका में साथ ही उनका पता भी लिखना.
कोई कविता संग्रह आपका हो तो भेजना.
सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'
ओस्लो, नार्वे
Bahut sunder Abhinav JI
इस सफ़ल आयोजन के लिये बधाई । सियैटल में हिंदी कविता का बीज बो दिया गया है । विश्वास है यह समय के साथ एक बड़ा वृक्ष बनेगा ।
हिन्दी कविता के चाहने वाले जितना हम सोचते हैं, उस से कहीं अधिक संख्या में हैं, ज़रूरत उन तक सही तरीके से पहुँचने की है ।
THANKYOU ABHINAV JI FOR INVITATION
CONGRATULATION.
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