कहाँ से आया है पत्थर हमें नहीं मालूम,
सभी मीनारें हमें एक जैसी लगती हैं,
कहाँ निशान लगाएँ ज़रा बताओ हमें,
सभी दीवारें हमें एक जैसी लगती हैं।
कहाँ निशान लगाएँ
Mar 31, 2007प्रेषक: अभिनव @ 3/31/2007
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अलार्म बज बज कर, सुबह को बुलाने का प्रयत्न कर रहा है, बाहर बर्फ बरस रही है, दो मार्ग हैं, या तो मुँह ढक कर सो जाएँ, या फिर उठें, गूँजें और 'निनाद' हो जाएँ।
कहाँ से आया है पत्थर हमें नहीं मालूम,
सभी मीनारें हमें एक जैसी लगती हैं,
कहाँ निशान लगाएँ ज़रा बताओ हमें,
सभी दीवारें हमें एक जैसी लगती हैं।
प्रेषक: अभिनव @ 3/31/2007
3 प्रतिक्रियाएं:
सही है!
bahut khub
bahut khub
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