सोच रहा हूँ की जब श्रीमतीजी चन्द्र देव की पूजा करने गयी होंगी तो कैसा
माहौल रहा होगा. विवाह के बाद यह दूसरी बार है जब हम लोग साथ नहीं हैं.
थाल के दीप की बाती भी नेह की बारिश भीग नहा गयी होगी,
साथ मिले सिर्फ जन्म क्यों सात ये बात विधि को बता गयी होगी,
प्रेम के मूल में त्याग छिपा यह आखर ढाई पढ़ा गयी होगी,
चाँद नें चाँद को देखा जो होगा तो चांदनी और सिहा गयी होगी.
थाल के दीप की बाती भी नेह की बारिश भीग नहा गयी होगी,
साथ मिले सिर्फ जन्म क्यों सात ये बात विधि को बता गयी होगी,
प्रेम के मूल में त्याग छिपा यह आखर ढाई पढ़ा गयी होगी,
चाँद नें चाँद को देखा जो होगा तो चांदनी और सिहा गयी होगी.
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